इटारसी से 17 किमी दूर मरोड़ा गांव के किसान रेतीली जमीन में कद्दू की खेती से अच्छा खास पैसा कमा रहे हैं। जिले में रेत खदान के नाम से जाना जाने वाला मरोड़ा अब कद्दू उत्पादन के क्षेत्र में भी अपनी पहचान बना रहा है। यहां रेतीली जमीन में पैदा होने वाले कद्दू की मांग दिल्ली, आगरा व जयपुर तक है।
किसान धनराज पाल ने बताया कि उन्होंने 1 एकड़ से कद्दू की फसल की शुरुआत की थी। जिसके बाद उन्हें देखकर दूसरे किसान प्रेरित हुए और आज गांव में 50 से ज्यादा किसान करीब 100 से 150 एकड़ में कद्दू की फसल ले रहे हैं। उद्यानिकी विभाग की उप संचालक रीता उईके ने बताया कि मरोड़ा और उसके आसपास के गांव में किसान बड़ी संख्या में कद्दू की पैदावार कर रहे हैं।
30 से 35 किलो वजन
गर्मियों के दिनों में रेतीली जमीन को यहां के किसान कद्दू की फसल के लिए तैयार करते हैं। किसानों ने बताया कि अक्टूबर और नवंबर में बीज बोया जाता है। करीब ३ से 4 माह में कद्दू तैयार हो जाता है। किसान मोहित पाल के खेत में ३0-३5 किलो का कद्दू होता था। पिछले साल से कद्दू का वजन पहले की अपेक्षा कम हो रहा है।
छिंदवाड़ा से लाए थे कद्दू का बीज
गांव में कद्दू की फसल लगाने के लिए किसान धनराज पाल छिंदवाड़ा से कद्दू का बीज लाए थे। उन्होंने बताया कि करीब 1 एकड़ में फसल लगाई थी। उसके बाद धीरे-धीरे किराए की जमीन लेकर करीब 30 एकड़ तक कद्दू की फसल लगाई और मुनाफा भी कमाया। मरोडा के अलावा सोनतलाई, ग्वाडी, पाहनवरी, राजौन गांव में भी किसान कद्दू की खेती कर रहे हैं।