आखिर कौन, क्या और किसलिए होते हैं डाक मैसेंजर?
इंडियन रेलवे की भाषा में डाक मैसेंजर को आसान शब्दों में समझने का प्रसास करें तो ये एक तरह वो लोग होते हैं जो सेंसिटिव डॉक्यूमेंट्स को रेलवे बोर्ड से कई विभागों, जोन और डिविजनों में पहुंचाने का काम करते हैं। इस व्यवस्था की शुरुआत अंग्रेजी हुकूमत ने उस समय की थी जब दुनिया में इंटरनेट और ईमेल की सुविधा शुरू नहीं हुई थी। अधिकारियों की मानें तो मौजूदा समय में जब सभी डॉक्युमेंट्स, नोट औैर आदेश ईमेल से भेजने की सुविधा है तो ऐसे में डाक मैसेंजर्स की प्रासंगिकता खत्म हो गई है। ऐसे में इनका आधिकारिक रूप से उपयोग बंद किया जा रहा है।
यह भी पढ़ेंः- Diesel Price में महंगाई का तड़का जारी, लगातार दो दिनों में 30 पैसे प्रति लीटर का इजाफा
इससे पहले भी उठाए गए हैं कई कदम
वहीं दूसरी ओर रेलवे की ओर से खर्च कम करने को लेकर पहले भी कई कदम उठाए गए हैं। रेलवे की ओर से नए पदों की भर्तियों पर पूरी तरह से रोक लगा दी है। वर्कशॉप्स से इंप्लाइज की संख्या को कम किया गया है। वहीं कई कामों को आउटसोर्स के माध्यम से किया जा रहा है। वहीं नए टेंडर जारी करने के लिए भी मनाही कर दी गई है। आपको बता दें कि रेलवे की ओर से स्पेशल ट्रेनों का संचालन किया जा रहा है। रेलवे की ओर से करोड़ों लोगों को लॉकडाउन के दौरान उनके घरों की ओर पहुंचाया हैै। इस दौरान रेलवे के कर्मचारी सबसे बड़े कोरोना वॉरियर के रूप में सामने आए हैं।
लागत कम करने के दिए निर्देश
इससे पहले रेलवे बोर्ड की ओर से सभी जोनों को कर्मचारियों की संख्या को कम करने, उन्हें अलग जिम्मेदारियां देने की बात कहीं गई थी। साथ ही मौजूदा समय में जो टेंडर और कांट्रैक्ट्स जारी किए गए हैं उनकी समीक्षा करने को कहा गया था। साथ ही बिजली के बिल को कम करने दूसरे एडमिनिस्ट्रेटिव एक्सपेंसिव को कम करने, डॉमेस्टिक ऑफिशियल टूर की जगह विडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से मीटिंग करने को कहा गया था।