फैसलों का किया विरोध
आईपीजी के अनुसार एविएशन मिनिस्टर ने खुद तमाम स्टाफ की भूमिका और साहस की काफी प्रशंसा की हैै। इसके बाद भी देश की सेवा के लिए जान जोखिम में डालने के इनाम के बदले में एअर इंडिसा ने भी कर्मचारियों के भत्तों में कटौती को लागू कर दिया है, जो ठीक नहीं है। याचिका के अनुसार मौजूदा समय में नौकरियों की काफी किल्लतों का सामना करना पड़ रहा है, इसके बाद भी बिना वेतन के जबरन छुट्टी पर भेजने के फैसले से कर्मचारियों की जिंदगी में काफी कठिनाईयां आ जाएंगी। उनका सर्वाइव करना मुश्किल हो जाएगा। उन्हें अपने परिवार का पेट पालनार काफी मुश्किल होगा। इस फैसले को बिना किसी सुनवाई और समीक्षा के लागू करना न्याय के विपरीत है।
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इस फैसले से कर्मचारियों को होगा नुकसान
आईपीजी के अनुसार इस फैसले को कोर्ट में इसलिए चुनौती दी गई है क्योंकि एअर इंडिया के सीएमडी मनमाने फैसले करने का पूर्ण अधिकार मिल गया है। किसी भी कर्मचारी को 6 महीने से 5 सालों तक के लिए बिना वेतन के अवकाश पर भेज सकते हैं। ना उन्हें इस दौरान वेतन मिलेगा और ना ही कोई भत्ता। कर्मचारियों को आवास तक खाली करना होगा वर्ना उन्हें मार्केट वैल्यू पर किराया देना होगा। वहीं कर्मचारियों को एआई से लिए लोन और एडवांस को तुरंत वापस करना होगा। इसके अलावा कर्मचारी को किसी सरकारी अनुक्रम में नौकरी करने की अनुमति नहीं होगी। अगर वो केिसी दूसरी एयरलाइन में काम करना चाहेगा तो उसे एआई से परमीशन लेनी होगी। आपको बता दें कि आईपीजी के साथ एअर इंडिया मैनेजमेंट के साथ चार बैठक हुई थी।