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इन शहरों में भी अटके हुए हैं काम
दिल्ली-एनसीआर के बाद दूसरे नंबर पर मुंबई मेट्रोपॉलिटन में सबसे ज्यादा करीब 2,02,145 करोड़ रुपए की लागत के 1,80,250 घर अधूरे पड़े हुए हैं। वहीं सात बड़े शहरों की बात करें तो 2020 के अंत तक इनमें 5,02,340 हाउसिंग प्रोजेक्ट्स का काम अटका पड़ा है। जिनकी कुल कीमत 4,07,005 करोड़ रुपए आंकी जा रही है। जबकि 2019 के अंत में 5.76 लाख करोड़ घरों वाले 1322 हाउसिंग प्रोजेक्ट अलग-अलग स्तरों पर लटके पड़े थे।
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देश के इन इलाकों में पड़े अधूरे प्रोजेक्ट्स
रीजन | प्रोजेक्ट्स | कीमत |
दिल्ली-एनसीआर | 1,90,120 | 1.2 लाख करोड़ रुपए |
मुंबई | 1,80,250 | 2.02 लाख करोड़ रुपए |
बेंगलुरु | 29,850 | 22,276 करोड़ रुपए |
पुणे | 80,480 | 49,667 करोड़ रुपए |
कोलकाता | 9180 | 5,436 करोड़ रुपए |
हैदराबाद | 6,520 | 4305 करोड़ रुपए |
चेन्नई | 2940 | 3886 करोड़ रुपए |
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यह है सबसे बड़ी वजह
एनारॉक के चेयरमैन अनुज पुरी के अनुसार प्रोजेक्ट्स में देरी की सबसे बड़ी वजह पिछले एक दशक से रियल एस्टेट सेक्टर में लगातार बढ़ रही है परेशानियां हैं। रेरा के लागू होने का भी असर देखने को मिला है। वहीं कैश की कमी के कारण भी डेवलपर्स अपने काम को पूरा नहीं कर पा रहे हैं। इसे दूर करने के लिए 2019 में सरकार ने 25 हजार करोड़ रुपए की पूंजी के साथ ऑल्टरनेटिव इन्वेस्टमेंट फंड बनाया था।