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दरअसल भारत में असेंबल होने वाली या फिर इंपोर्ट होने वाली EV’s अब महंगी होने वाली हैं और ऐसा इसलिए हुआ है क्योंकि फाइनेंस मिनिस्टर निर्मला सीतारमण ने 1 फरवरी 2020 को बजट पेश करते हुए इलेक्ट्रिक व्हीकल पर कस्टम ड्यूटी बढ़ा दी है।
सिर्फ इलेक्ट्रिक वेहिकल्स ही नहीं बल्कि कार, SUV और वैन जैसे पैसेंजर व्हीकल्स, बस, ट्रक, तिपहिया और दोपहिया गाड़ियों के अलग-अलग पार्ट इंपोर्ट करके उन्हें भारत में असेंबल किया जाता है तो उस पर अब 15 फीसदी टैक्स चुकाना होगा। इन गाड़ियों को कम्प्लीटली नॉक्ड डाउन ( completely knocked down यानी CKD) गाड़ियां कहते हैं। नई दरें 1 अप्रैल 2020 से लागू होंगी।
इसके अलावा बस, ट्रक और दोपहिया गाड़ियां जो Semi Knocked down (SKD) होती है उनपर कस्टम ड्यूटी 25 फीसदी कर दी गई है। पहले उनपर 15 फीसदी टैक्स लगता था। सेमी नॉक्ड डाउन गाड़ियों के कुछ हिस्से तैयार जुड़े होते हैं और कुछ को असेंबल करना पड़ता है।
वहीं SKD कैटेगरी की इलेक्ट्रिक पैसेंजर व्हीकल और तिपहिया गाड़ियों के पार्ट इंपोर्ट करके असेंबल करने पर अब 30 फीसदी टैक्स देने होंगे। पहले इस पर 15 फीसदी टैक्स लगता था।
किन वाहनों की बढ़ेगी कीमत
कस्टम ड्यूटी बढ़ाने से ह्यूंडई कोना ( Hyundai Kona ) और MG ZS इलेक्ट्रिक व्हीकल की गाड़ियां महंगी हो जाएंगी। इसका असर इनकी बिक्री पर भी नजर आएगा। ये दोनों गाड़ियां भारत में नहीं बनती हैं। हाल ही में लॉन्च टाटा मोटर्स की नेक्सॉन (Nexon), टाटा टिगोर इलेक्ट्रिक व्हीकल और महिंद्रा की ई-वेरिटो इलेक्ट्रिक व्हीकल ( e-Verito EV) जैसी कंपनियों को फायदा होगा क्योंकि इनकी मैन्युफैक्चरिंग इंडिया में होती है।
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ज्यादातर दोपहिया और तीनपहिया इलेक्ट्रिक गाड़ियों की मैन्युफैक्चरिंग भारत में होती है। इलेक्ट्रिक बसों की मैन्युफैक्चरिंग भी टाटा मोटर्स और अशोक लीलैंड भारत में ही करते हैं। जो कमर्शियल व्हीकल पूरी तरह तैयार यानी CBU (completely built units) की तरह इंपोर्ट किए जाएंगे उनपर कस्टम ड्यूटी 25 फीसदी से बढ़ाकर 40 फीसदी कर दी गई है।