यह भी पढ़ेंः- RBI 2019-20 Annual Report: वित्त वर्ष 2019-20 में नहीं छापा गया 2000 रुपए का नोट
सरकार को उम्मीद
सरकार के घाटे का सौदा बन रही एअर इंडिया से अपनी 100 फीसदी हिस्सेदारी बेचने के लिए 27 जनवरी को नोटिस जारी किया था और 17 मार्च तक बोलिया मंगाई थी। तब से अब तक सरकार को कोई ऐसा खरीदार नहीं मिल पाया है जो एअर इंडिया को संभाल सके। सरकार को उम्मह है कि अगे दो महीनों में एअर इंडिया का विनिवेश हो जाएगा।
यह भी पढ़ेंः- RBI 2019-20 Annual Report: 2040 तक इंफ्रा में 4.5 ट्रिलियन डॉलर निवेश की जरुरत
क्या है सरकार का प्लान
सरकार के प्लान के अनुसार एअर इंडिया एक्सप्रेस की 100 फीसदी हिस्सेदारी बेची जाएगी। साथ ही एअर इंडिया और एसएटीएस की जॉइंट वेंचर कंपनी एआईएसएटीएस में एअर इंडिया की 50 फीसदी हिस्सेदारी बेचने का भी प्लान है। एअर इंडिया का मैनेजमेंट कंट्रोल भी बोली जीतने वाली कंपनी के पास होगा। इसके लिए सरकार की ओर से कुछ शर्तें भी रखी हैं। खरीदार को एअर इंडिया के सिर्फ 23,286.5 करोड़ रुपये के कर्ज की जिम्मेदारी लेनी होगी।
यह भी पढ़ेंः- Adani, Vedanta की फेहरिस्त में शामिल हुई Allcargo, Share में 20 फीसदी का उछाल
7 जनवरी को जीओएम ने लगाई थी मुहर
आपको बता दें कि मौजूदा समय में एआई पर टोटल 60,074 करोड़ रुपए का कर्ज है। करीब 37,000 करोड़ रुपए के कर्ज का भार सरकार खुद उठाएगी। वित्त वर्ष 2018-19 में एअर इंडिया को 8,556 करोड़ रुपए का शुद्ध घाटा हुआ था। इसी साल 7 जनवरी को गृह मंत्री अमित शाह की अध्यक्षता में बने ग्रुप ऑफ मिनिस्टर्स ने निजीकरण से जुड़े प्रस्ताव पर मुहर लगा दी थी।