अडाणी की कारमाइकल परियोजना लंबे समय से विवादों में है। इस परियोजना के सहारे उसे 2.3 अरब टन कोयला उत्पादन होने की उम्मीद है। पर्यावरणविदों ने इस परियोजना का विरोध करते हुए कहा था कि इसका जलवायु परिवर्तन पर असर पड़ेगा। इसके अलावा उन्होंने तर्क दिया है कि यह खदान ‘ ग्रेट बैरियर रीफ वल्र्ड हेरिटेज ‘ इलाके को भी गंभीर नुकसान पहुंचा सकती है। यहां भारी संख्या में समुद्री जीवों रहते हैं।
ऑस्ट्रेलिया की पर्यावरण मंत्री मेलिसा प्राइस ने मंगलवार को कहा कि उन्होंने अडाणी समूह की भूजल प्रबंधन योजना को मंजूरी दे दी है। राष्ट्रमंडल वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान संगठन (सीएसआईआरओ) और ऑस्ट्रेलिया के भू – विज्ञान विभाग ने पाया कि यह योजना वैज्ञानिक आवश्यकताओं को पूरा करती है। जिसके बाद योजना को मंजूरी दी गई है। प्राइस ने बयान में कहा, “सीएसआईआरओ और भू – विज्ञान विभाग ने कारमाइकल कोयला खान और रेल परियोजना के लिए भूजल प्रबंधन योजनाओं का स्वतंत्र मूल्यांकन किया है। दोनों ने यह पुष्टि की है कि संशोधित योजना वैज्ञानिक जरूरतों को पूरा करती है।”
उन्होंने कहा , “इस स्वतंत्र आकलन और पर्यावरण एवं ऊर्जा विभाग की सिफारिश के बाद मैंने वैज्ञानिक परामर्श को स्वीकार कर लिया है और पर्यावरण संरक्षण एवं जैव विविधता संरक्षण अधिनियम 1999 के तहत कारमाइकल कोयला खदान और रेल बुनियादी ढांचा परियोजना के लिए भूजल प्रबंधन योजनाओं को मंजूरी दे दी है।” निर्माण का काम शुरू करने से पहले अब परियोजना के लिए क्वींसलैंड सरकार से मंजूरी लेनी होगी। पर्यावरण मंत्री ने कहा कि अभी तक , राष्ट्रमंडल और क्वींसलैंड सरकारों ने 25 में से केवल 16 पर्यावरणीय योजनाओं को अंतिम रूप या मूंजरी दी है। नौ को अंतिम रूप दिया जाना अभी बाकी है। प्राइस ने कहा कि चूंकि यह एक वाणिज्यिक परियोजना है इसलिए ऑस्टेलिया सरकार की ओर से खान या उससे जुड़ी रेल परियोजना के लिए कोई वित्तीय मदद नहीं दी गई है।
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