आईडीए ने कुछ वर्ष पहले लोहा व्यापारियों को निरंजपुर में प्लॉट दिए थे ताकि वे अपना कारोबार शहर से बाहर शिफ्ट करें। कई व्यापारियों ने प्लॉट तो ले लिए लेकिन कारोबार को शिफ्ट नहीं किया गया। छह साल पहले तत्कालीन कलेक्टर आकाश त्रिपाठी ने सख्ती करते हुए प्लॉट निरस्त करने की चेतावनी दी थी तब जाकर व्यापारियों ने दुकानें बनाई थी।
उनका तबादला होने के बाद मामला ठंडे बस्ते में चला गया। त्रिपाठी के संभागायुक्त बनने के बाद कलेक्टर लोकेश कुमार जाटव ने लोहा मंडी को शिफ्ट करने के लिए सख्ती शुरू कर दी। जिम्मेदारी अपर कलेक्टर डीके जैन को सौंप दी। व्यापारियों के साथ बैठक कर जैन ने साफ कर दिया कि किसी भी कीमत पर मंडी से कारोबार नहीं होगा। तुरंत फुरंत कारोबार शिफ्ट कर दें।
आखिरकार कल अपर कलेक्टर जैन ने यातायात पुलिस को लोहे से भरे वाहनों के प्रवेश पर रोक लगाने के निर्देश जारी कर दिए। साथ ही साफ कर दिया कि लोहा मंडी में अब लोहे से भरे वाहन कहीं से भी प्रवेश न करें। यदि कोई गाड़ी प्रवेश कर जाए तो गाड़ी का चालान बनाया जाए और जब्ती की कार्रवाई की जाए। प्रशासन का मानना है कि जब लोहा मंडी में जाएगा नहीं तो कारोबार भी ऐसा होगा नहीं।
दिन में सिर्फ तीन घंटे
लोहा मंडी में कई ट्रांसपोर्ट कम्पनियां है जिनकी गाडिय़ों का दिनभर आना जाना है। इसके अलावा शक्कर, प्लायवुड, किराना और कई प्रकार के सामानों के गोदाम भी है। वहीं, पास में छावनी अनाज मंडी भी है जिनमें भी भारी वाहनों का आना जाना रहता है। उनके वाहनों की आवाजाही के लिए रात 10.30 बजे से 6 बजे तक का समय पहले से तय है लेकिन प्रशासन ने दिन में दोपहर 12 से 3 बजे तक की छूट दी है।
इस बीच में भारी वाहन आ जा सकते हैं। उन्हें राहत देकर प्रशासन ने एक तीर से दो निशाने लगाए हैं क्योंकि लोहा व्यापारी एसोसिएशन ने अपने बचाव के लिए उनका सहारा लेने का प्रयास किया था। इस पर प्रशासन ने तय किया कि उनके रोजगार को नहीं छेड़ा जाए।
लगाया है प्रतिबंध
हां, हमने लोहा मंडी में लोहे से भरे वाहनों के प्रवेश पर प्रतिबंध लगा दिया है। वहीं, अन्य भारी वाहन दिन में सिर्फ दोपहर 12 से 3 बजे तक ही आ जा सकेंगे। यातायात पुलिस को इसका सख्ती से पालन करने के निर्देश दिए गए हैं।
दिनेश जैन, अपर कलेक्टर