इस टिप्पणी के साथ इंदौर हाई कोर्ट ने पारिवारिक न्यायालय की ओर से पारित उस आदेश को पलट दिया, जिसमें कोर्ट ने नौकरी नहीं करने देने को तलाक का आधार नहीं माना था। साथ ही कोर्ट ने 10 साल पहले हुए विवाह में तलाक की मंजूरी दे दी। पारिवारिक न्यायालय की ओर से तलाक नहीं देने को किए गए फैसले के खिलाफ एक याचिका दो साल पहले हाईकोर्ट में लगी थी। चीफ जस्टिस सुरेश कुमार कैत और जस्टिस एसए धर्माधिकारी की खंडपीठ ने इस पर सुनवाई की।
ये था मामला
एलआइसी दफ्तर में नौकरी करने वाली एक महिला का विवाह 2014 में हुआ था। 2017 में पत्नी की नौकरी लगने के बाद से ही पति इस बात के लिए दबाव बना रहा था कि उसे नौकरी मिलने तक पत्नी यह नौकरी न करे। पत्नी नौकरी ज्वाइन करने के बाद से ही पति से अलग रह रही थी।