बता दें कि, गुरुवार को करीब दो बजे लिवर ट्रांसप्लांट की प्रोसेस शुरु की गई थी। यह सर्जरी करीब दो बजे रात तक चली। बेटी और पिता दोनों स्वस्थ हैं। उन्हें ट्रांसप्लांट प्रोसेस के दौरान कोई समस्या नहीं हुई है। दोनों को 7 दिनों के लिए आईसीयू में ऑब्जर्वेशन के लिए रखा गया है।
ये था पूरा मामला
इंदौर ग्रामीण बेटमा निवासी शिवनारायण बाथम पिछले 6 सालों से लिवर की बीमारी से जूझ रहे हैं। उन्हें डॉक्टरों द्वारा दो महीने पहले लिवर ट्रांसप्लांट करने को कहा गया था। साथ ही यह भी कहा गया था कि ट्रांसप्लांट के अलावा कोई दूसरा उपचार संभव नहीं है। इसके बाद बेटी प्रीति ने पिता को लिवर देने की ठान ली, लेकिन इतना आसान कहा था लिवर डोनेट करना। फिर परिजनों के सामने आई कानूनी अड़चन क्योंकि बेटी की उम्र 17 साल 10 महीने थी। वह कानूनी रूप से लिवर डोनेट नहीं कर सकती थी। डॉक्टरों ने बिना कोर्ट की परमिशन के ट्रांसप्लांट के लिए मना कर दिया था।
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कोर्ट में लगाई गई थी याचिका
मध्यप्रदेश के इंदौर स्थित हाईकोर्ट में 13 जून को याचिका दायर की गई थी। जिसके बाद इंदौर कोर्ट ने एमजीएम मेडिकल कॉलेज के स्वास्थ्य आयुक्त को आदेश दिया था कि वह नाबालिग की जांच करके रिपोर्ट को कोर्ट में पेश करें। इसके अलावा कोर्ट ने कहा था कि साथ में यह भी बताएं कि लिवर का कुछ हिस्सा डोनेट करने के लिए फिट है या नहीं। इसकी सुनावाई गुरुवार को हुई तो नाबालिग बेटी का लिवर जांच में पूरी तरह फिट पाया गया। जिसके बाद कोर्ट ने लिवर ट्रांसप्लांट की परमिशन दे दी।