वैसे तो पुलिस एक्ट 1861 का है और अब तक सारी कार्रवाई उसी के तहत संचालित हो रही है। कई बार तो ऐसे शब्द आम लोगों के सामने आते हैं जो वे समझ ही नहीं पाते और केस उल्टा पड़ जाता है। पुलिस ने समय के साथ एक्ट में बदलाव तो किए लेकिन अंग्रेजों द्वारा पुलिस एक्ट में इस्तेमाल किए गए शब्दों को बदला नहीं गया। पुलिस अब भी ऐसी भाषा का इस्तेमाल करती है जो कई बार उनके कर्मचारियों के समझने में ही कठिन हो जाते हैं, न्यायालयीन कार्यों में भी यहीं शब्द चलते हैं। पुलिस कमिश्नर हरिनारायणाचारी मिश्र के मुताबिक, शासन इन कठिन शब्दों को हटाने जा रहा है। वे पुलिस डायरी व शब्दावली में इस्तेमाल होने वाले इस तरह के शब्दों की सूची बना रहे हैं। इस सूची में 100 से ज्यादा शब्द हो सकते हैं। सूची को शासन को सुझाव के रूप में भेजा जाएगा और फिर शासन नोटिफिकेशन कर इस तरह के कठिन शब्द की जगह आसान शब्द शामिल करेगा ताकि आम लोगों को भी पुलिस की डायरी समझ में आए।
इन कठिन शब्दों से भरी रहती है पुलिस डायरी
दस्तयाब – बरामद करना हीकमत अमली- सख्ती से
देहाती नालसी- चोट की जानकारी इस्तगासा- याचिका
पतारसी- पता लगाना अदम तामिल- वांरट संबंधित को देना
मुद्दई- शिकायत करने वाला
मश्रुका- सामान
रोजनामचा- जानकारी दर्ज करने वाला रजिस्टर मुचलका- जमानत बंधन पत्र
जरायम- अपराध की जानकारी खारिजी- रिपोर्ट झूठी होना
मामूर- पता करना आला कत्ल- कल्त में इस्तेमाल हथियार
थाना हाजरा- थाने में आना आमद- ड्यूटी पर आना
मुलजिम- आरोपी
दायरा- क्षेत्र दस्तयाब में अटके मुख्यमंत्री तो शुरू हुई कवायद
दरअसल सालों से चल रहे शब्द बदलने की कवायद उस समय शुरू हुई जब पिछले दिनों समीक्षा बैठक में मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान दस्तयाब शब्द पर अटके। पुलिस अफसर लापता बच्चों को दस्तयाब करने की जानकारी दे रहे थे। दस्तयाब का मतलब बरामद करना है। इस पर मुख्यमंत्री बोले, जब हमें नहीं समझ आ रहा तो आम लोगों को क्या समझ आएगा, बदलों इन शब्दों को। पुलिस कमिश्नर भी इसके बाद शब्दों की पहचान में सक्रिय हो गए।