लर्निंग लाइसेंस के लिए- 375 फीस और 72 रुपए टैक्स
लर्निंग लायसेंस की व्यवस्था केंद्र सरकार के सारथी ऐप पर ऑनलाइन कर दी है। आप घर बैठे ही ऑनलाइन दस्तावेज जमा कर अप्लाय कर सकते हैं। ऑनलाइन ही फीस जमा होती और वहीं से लर्निंग लायसेंस भी जारी होता है।
हकीकत ऐप पर आने वाले दस्तावेजों का वेरिफिकेशन इंदौर आरटीओ द्वारा किया जाता है। कई लोगों के दस्तावेजों का महीनों तक वेरिफिकेशन नहीं किया जाता है। वहीं संपर्क वालों का काम जल्दी हो जाता है।
परमानेंट लाइसेंस
व्यवस्था- दस्तावेज सही होने पर दो पहिया और चार पहिया वाहन चालक का ट्रायल ट्रैक पर लिया जाता है। कैमरे से निगरानी की जाती है। यातायात नियमों के पालन की रिकॉर्डिंग होती है। इसके बाद दस्तावेजों की इंट्री कंप्यूटर में करते हुए ऑनलाइन फोटो अपलोड किए जाते हैं। डिजिटल पेड पर सिग्नेचर की पुष्टि होने के बाद लाइसेंस जारी किया जाता है।
हकीकत- इंदौर आरटीओ में लाइसेंस का नियम ही उल्टा है। यहां पर लाइसेंस के लिए आने वाले के दस्तावेजों की जांच करने के साथ ही फोटो और डिजिटल सिग्नेचर करवा लिए जाते हैं। आवेदक ने रिश्वत दी तो बगैर टेस्टिंग आवेदन स्वीकृत कर दिया जाता है। रिश्वत नहीं दी तो ट्रायल देना होता है। लाइसेंस के लिए नए आरटीओ में आधुनिक ट्रैक बनाया था. लेकिन ये बर्बाद हो चुका है। इसके छोटे से हिस्से में, जो कि महज 100 फीट का है, उसमें वाहन चालक को गाड़ी सीधे लाकर एक बार रिवर्स लेना होती है। बाद में उसे एक मोड़ से बाहर ले जाना होती है। दो पहिया वाहन के लिए ट्रैक में 3 बार गाड़ी को 8 के आकार में इंडिकेटर का उपयोग करते हुए घुमाकर दिखानी होती है, लेकिन आरटीओ में त्रिकोण 1 में 50 फीट गाड़ी चलाकर टेस्टिंग हो जाती है।
लर्निंग लाइसेंस की फीस-447 की सरकारी फीस की जगह 500 रुपए एजेंट लेते हैं। वहीं लर्निंग लाइसेंस के लिए ऑनलाइन टेस्ट आवेदक की जगह एजेंट ही दे देते हैं। वे ओटीपी अपलोड करते रहते हैं।
परमानेंट लाइसेंस के लिए 1000 फीस और 72 रुपए टैक्स
परमानेंट लाइसेंस के लिए एजेंट दस्तावेज पर गत्ते का टुकड़ा लगा देते हैं। उस पर अपने नाम या फर्म की सील होती है। परमानेंट लाइसेंस की फीस 1072 के बजाए ड्राइविंग टेस्ट देने पर 2500 रुपए लिए जाते हैं। यदि ड्राइविंग टेस्ट नहीं लिया गया तो इसमें 1500 रुपए और बढ़ जाते हैं।
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ऐसा है कोडवर्ड का खेल
टेस्टिंग के साथ लाइसेंस बनाने की बात होती है तो दस्तावेजों पर सील के साथ सीधी लाइन खींचकर नीचे तारीख डालते हैं। यदि लाइसेंस बगैर ट्रायल के बनना है तो सीधी लाइन और तारीख के साथ आसपास गोल घेरा बना दिया जाता है।
ऐसे अटका देते हैं लाइसेंस- लाइसेंस शाखा के बाबू थंब मशीन पर अपने अंगूठों के निशान से स्वीकृति देते हैं। ये हाथों-हाथ होना चाहिए, लेकिन ये प्रक्रिया शाम के बाद होती है। जब सारे एजेंट चले जाते हैं तो दस्तावेजों के निशान देखकर उन्हें थंब मशीन के जरिए स्वीकृति दे दी जाती है।