scriptसंस्कारशालाओं का महत्व पहले भी था और मौजूदा समय में भी है, बच्चों को बचपन से ही दें संस्कार | Patrika News
हुबली

संस्कारशालाओं का महत्व पहले भी था और मौजूदा समय में भी है, बच्चों को बचपन से ही दें संस्कार

साध्वी विरतिपूर्णाश्री की राजस्थान पत्रिका के साथ विशेष बातचीत

हुबलीNov 24, 2024 / 05:48 pm

ASHOK SINGH RAJPUROHIT

साध्वी विरतिपूर्णाश्री

साध्वी विरतिपूर्णाश्री

साध्वी विरतिपूर्णाश्री का कहना है कि बच्चों में बचपन से ही संस्कार दिए जाने चाहिए। इसके लिए संस्कारशालाएं अहम भूमिका निभा सकती है। संस्कारशालाओं का महत्व पहले भी था और मौजूदा दौर में भी बरकरार है। आज के समय में बच्चों में संंस्कार बहुत जरूरी है। संंस्कारों को आगे बढ़ाया जाना चाहिए। साध्वी विरतिपूर्णाश्री का चातुर्मास इस बार कर्नाटक के भद्रावती में था। साध्वी ने राजस्थान पत्रिका के साथ विशेेष बातचीत में धर्म-ध्यान, संस्कृति व संस्कार समेत विभिन्न विषयों पर बात की। प्रस्तुत हैं उनसे हुुई बातचीत के प्रमुख अंश:
सवाल: नई पीढ़ी धर्म से कितनी जुड़ पा रही है?
साध्वी: श्रावक-श्राविकाएं धर्म से जुड़़ रहे हैं। समय के पाबंदी भी है। मौजूूदा समय में धर्माराधना बहुत जरूरी है। इसे बढ़ावा दिया जाना चाहिए।

सवाल: संस्कारों का हमारे जीवन में कितना महत्व है। इन्हें कैसे आगे बढ़ा सकते हैं?
साध्वी: मौजूदा दौर में संंस्कारशालाओं की जरूरत है। इसके माध्यम से बच्चों में बचपन से संस्कारों के बीज बोने में मदद मिल सकेगी। संस्कार अच्छे होने से भावी पीढ़ी में धर्म के प्रति भी रूचि गहरी होगी।
सवाल: आजकल हर किसी के पास मोबाइल हैं, बिना मोबाइल के रहना असंभव सा हो गया है। मोबाइल कितना जरूरी है?
साध्वी: मोबाइल बिगाडऩे का काम कर रहा है। खासकर बच्चों को मोबाइल से दूर ही रखा जाना चाहिेए।
सवाल: दिखावे की प्रवृत्ति बढ़ रही है। आपकी इस पर क्या राय है?
साध्वी: दिखावा गलत है। आडम्बर की जरूरत नहीं है। दिखावा बढ़ रहा है. इस पर निश्चित ही अंकुश लगना चाहिए।

सवाल: आजकल छोटी उम्र में ही व्यक्ति कई बीमारियों से ग्रसित रहने लगा है। इसके क्या कारण हो सकते हैं?
साध्वी: हमारा खान-पान बदल गया है। दिनचर्या में भी बदलाव आया है। यही वजह है कि बीमारियां भी छोटी उम्र में ही घेरने लगी हैं। यदि खानपान सही हो और नियमित दिनचर्या हो तो हम बीमारियों से बच सकते हैं।

Hindi News / Hubli / संस्कारशालाओं का महत्व पहले भी था और मौजूदा समय में भी है, बच्चों को बचपन से ही दें संस्कार

ट्रेंडिंग वीडियो