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हुबली

सर्कस की जान होते हैं मणिपुरी कलाकार, जीवंत कला के लिए जाने जाते हैं

जिम्नास्टिक, नृत्य समेत कई विद्याओं में माहिर

हुबलीJan 02, 2025 / 07:33 pm

ASHOK SINGH RAJPUROHIT

मणिपुरी कलाकार

मणिपुरी कलाकार

सर्कस में मणिपुरी कलाकार अपनी जीवंत कला के लिए जाने जाते हैं। मणिपुर के कलाकारों की मानें तो मणिपुर में स्कूल स्तर से ही कला एवं खेल पर जोर दिया जाता है। यही वजह है कि मणिपुर से निकलकर कई प्रतिभाएं राष्ट्रीय एवं अंतराष्ट्रीय स्तर पर चमक बिखेर रही है। मीराबाई चामू एवं मैरिकॉम सरीखी प्रतिभाएं मणिपुर की ही है। इन दिनों नवलुर के पास चल रहे राजकमल सर्कस में मणिपुर के कलाकार दर्शकों को खूब पसंद आ रहे हैं। वे अपने अदाओं एवं अभिनय के जरिए अलग छाप छोड़ रहे हैं। मणिपुर के कलाकार नोबी कहते हैं, यह महज एक सर्कस नहीं है, बल्कि एक परंपरा है जो न केवल एक संस्कृति को संरक्षित कर रही है बल्कि कई लोगों को पीढिय़ों तक आजीविका भी प्रदान कर रही है। सर्कस उन्हें अपने खर्चों का ध्यान रखने और मणिपुर में अपने परिवार को पैसे भेजने के लिए पर्याप्त वेतन देता है। वह सर्कस में प्रदर्शन करने वाली मणिपुर के 11 सदस्यों के मुखिया है। वे कहते हैं, सर्कस के कलाकार रोज 2 से 3 घंटे अलग से प्रैक्टिस करते हैं। मणिपुरी कलाकार जिम्नास्टिक, ट्रेडिशनल डांस, फायर डांस, नाइप ईटिंग, स्पेयर बैलेंस समेत कई तरह के करतब दिखा रहे हैं।
कलाकारों के पर्दे के पीछे का जीवन आसान नहीं
राजकमल सर्कस के रफीक शेख कहते हैं, कई कलाकार और कर्मचारी तीन दशकों से अधिक समय से हमारे साथ जुड़े हुए हैं। पर्दे के पीछे कोई आकर्षण नहीं हालांकि बाहरी दुनिया के लिए यह चमक-दमक, संतुलन और रोमांच है, लेकिन कलाकारों के लिए पर्दे के पीछे का जीवन आसान नहीं है। तीन दशक पहले तक देश में कई सर्कस थे और उनमें से लगभग सभी फायदे में थे। लेकिन पिछले कुछ वर्षों में जानवरों पर प्रतिबंध और श्रम पर सख्त आदेश जैसी सरकारी नीतियों ने उद्योग को गंभीर झटका दिया है। निराशाजनक बात यह है कि सरकार ने घरेलू और पालतू जानवरों के उपयोग पर भी प्रतिबंध लगा दिया है। लेकिन उन्हीं जानवरों को अन्य सार्वजनिक कार्यक्रमों में इस्तेमाल करने की अनुमति है। घोड़ों का उपयोग शादियों में किया जाता है, बैल का उपयोग पारंपरिक दौड़ में किया जाता है, कुत्ते मनुष्य के पसंदीदा पालतू जानवर हैं और ऊंट का उपयोग विभिन्न व्यावसायिक और घरेलू कार्यों के लिए किया जाता है। लेकिन उन्हीं जानवरों को सर्कस में इस्तेमाल नहीं किया जा सकता।
घरेलू जानवरों के उपयोग की अनुमति मिले
शेख कहते हैं, सरकार को हमें कम से कम घरेलू जानवरों का उपयोग करने की अनुमति देनी चाहिए। वह यह भी नहीं समझ पा रहे हैं कि बच्चों को सर्कस में प्रदर्शन करने की अनुमति क्यों नहीं दी जानी चाहिए, जबकि उन्हें फिल्मों और लाइव शो में बाल कलाकार के रूप में दिखाया जाता है। उन्होंने आश्चर्य व्यक्त करते हुए कहा, जब फिल्मों में अभिनय करने वाले बच्चों को कलाकार माना जाता है, तो सर्कस में प्रदर्शन करने वाले बच्चों पर भी यही मानदंड क्यों नहीं लागू किया जाता है। रूस जैसे देशों ने बच्चों को कलाबाज़ी सिखाने के लिए अकादमियां खोली हैं। ऐसे कई कलाकारों को बाद में ओलंपिक जैसे अंतरराष्ट्रीय आयोजनों में जिम्नास्टिक में भाग लेने के लिए चुना जाता है। छोटे बच्चों को कलाबाजी के लिए इसलिए चुना जाता है क्योंकि उन्हें कम उम्र में प्रशिक्षित करना आसान होता है क्योंकि उनकी हड्डियां और मांसपेशियां लचीली होती हैं। उस उम्र में प्रशिक्षित होकर वे जिमनास्ट और कलाबाज़ बन जाते हैं। रूस ऐसे बच्चों को बाल मजदूर नहीं बल्कि कलाकार मानता है। लेकिन भारत में कहानी बिल्कुल अलग है. यहां, गैराज या सर्कस में काम करने वाले लड़के को मूलभूत अंतर समझे बिना बाल मजदूर की श्रेणी में रखा जाता है।

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