कृषि विभाग के अधिकारियों ने कहा कि यदि किसानों की सर्पदंश से मृत्यु होती है, तो उनके परिजनों को तीन महीने के भीतर मुआवजे के लिए आवेदन करना होगा। पुलिस शिकायत की प्रति, पोस्टमार्टम रिपोर्ट और अन्य दस्तावेज जमा करने होंगे। सहायक आयुक्त की अध्यक्षता वाली समिति मामलों की पुष्टि करती है और मुआवजे को मंजूरी देती है। 75 मामलों में से 40 किसानों की मौत सर्पदंश से हुई है। किसान संघ के एक पदाधिकारी ने बताया कि कई किसानों को यह नहीं पता है कि यदि उनमें से कोई अपने खेत में काम करते समय मर जाता है तो वे मुआवजे के पात्र हैं। कृषि विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों द्वारा मुआवजे के बारे में जानकारी नहीं दी जाती है, जिसके परिणामस्वरूप कई किसान मुआवजे से वंचित रह जाते हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि सभी दस्तावेज जमा करने के बावजूद समय पर मुआवजा नहीं दिया जाता है, जिससे प्रभावित परिवारों को परेशानी उठानी पड़ती है। एक किसान नेता ने कहा कि फसल बर्बाद होने और बढ़ते कर्ज के कारण जान गंवाने वाले किसानों को पांच लाख रुपए का मुआवजा दिया जाता है, लेकिन सांप के काटने या अन्य दुर्घटनाओं में जान गंवाने वाले किसानों को सिर्फ दो लाख रुपए का मुआवजा दिया जाता है। इसे बढ़ाकर पांच लाख रुपए किया जाना चाहिए, जिससे पीडि़त परिवार को मदद मिलेगी।
कृषि विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि सांप के काटने या अन्य घटनाओं से मरने वाले किसानों को मुआवजा दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि हम ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए सुरक्षा और एहतियाती उपायों के बारे में भी किसानों में जागरूकता पैदा कर रहे हैं। अधिकारी ने कहा कि किसानों को खेतों में काम करते समय ऊंची फसलों पर कीटनाशकों का छिड़काव करने के लिए ड्रोन का उपयोग करना चाहिए। उन्हें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि ओवरहेड बिजली की लाइनें सुरक्षित ऊंचाई पर हों और उन्हें दिन के समय काम करना चाहिए। कीटनाशकों का छिड़काव करते समय किसानों को हाथ के दस्ताने और मास्क पहनने चाहिए। उन्होंने सलाह दी कि खुले कुओं और तालाबों जैसे जल स्रोतों की बाड़ लगाई जानी चाहिए और उन्हें सुरक्षा उपायों के बारे में जानकारी देने के लिए विभाग द्वारा आयोजित कार्यशालाओं में भाग लेना चाहिए।