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हुबली

धारवाड़ में बनेगा अलग निगम, हुब्बल्ली-धारवाड़ नगर निगम के विभाजन को मंंजूरी, दोनों शहरों को फायदा

विधायक अरविन्द बेलड़ समेत कई विधायकों ने उठाया था विधानसभा में मामला

हुबलीJan 03, 2025 / 08:44 pm

ASHOK SINGH RAJPUROHIT

विधायक अरविन्द बेलड़

विधायक अरविन्द बेलड़

राज्य सरकार ने हुब्बल्ली-धारवाड़ नगर निगम के विभाजन एवं धारवाड़ के लिए अलग निगम बनाने की मंजूरी दे दी है। इस निर्णय से कला, साहित्य, संगीत तथा शिक्षा के केंद्र के रूप में प्रसिद्ध धारवाड़ में नागरिक सुविधाओं में वृद्धि होने की उम्मीद है। हुब्बल्ली-धारवाड़ नगर निगम के एक पूर्व महापौर ने कहा कि सरकार को नए नगर निगम के अधिकार क्षेत्र को वर्तमान वार्ड संख्या 1 से 26 तक सीमित नहीं रखना चाहिए। इसमें बेलूर औद्योगिक क्षेत्र, उच्च न्यायालय खंडपीठ तथा नवनगर को शामिल करने के लिए इसका विस्तार करना चाहिए। उन्होंने सरकार से हुब्बल्ली-धारवाड़ शहरी विकास प्राधिकरण को विभाजित करने और एक अलग धारवाड़ विकास प्राधिकरण बनाने का भी आग्रह किया। धारवाड़ के व्यापक विकास के लिए 2,000 करोड़ रुपए के अलग से विशेष अनुदान की मांग करते हुए उन्होंने कहा कि धारवाड़ इसका हकदार है क्योंकि इसमें आईआईटी, आईआईआईटी, तीन सरकारी विश्वविद्यालय हैं और यह संगीत, कला और साहित्य का केंद्र भी है।
तेज गति से हो सकेगा विकास
विधानसभा में विपक्ष के उप नेता अरविन्द बेलड़ ने राजस्थान पत्रिका को बताया कि धारवाड़ एवं हुब्बल्ली दोनों में अब अलग-अलग नगर निगम होने से दोनों शहरों का विकास तेजी से हो सकेगा। केन्द्रीय फंड मिलने से भी शहरों का विकास और अधिक हो सकेगा। हुब्बल्ली-धारवाड़ शहरों के स्मार्ट सिटी में होने का लाभ भी मिलेगा।
दोनों शहरों के बीच 20 किमी फासला
हुब्बल्ली-धारवाड़ नगर निगम का गठन 1962 में 20 किलोमीटर की दूरी पर स्थित दो शहरों को मिलाकर किया गया था। निगम के तहत 67 वार्डों में से 44 हुब्बल्ली में और 23 धारवाड़ में थे। परिसीमन के बाद, हुब्बल्ली में वार्डों की संख्या 55 और धारवाड़ में 27 हो गई है। केएमसी अधिनियम के अनुसार, चार लाख से अधिक आबादी वाले किसी भी शहर में निगम हो सकता है और धारवाड़ अपेक्षित शर्तों को पूरा करता है। धारवाड़ पृथक निगम आंदोलन समिति के सदस्यों का कहना है कि निगम को विभाजित करने से हुब्बल्ली और धारवाड़ दोनों को लाभ होगा क्योंकि प्रत्येक को 100 करोड़ रुपए का वार्षिक अनुदान मिलेगा। 25 फरवरी, 2019 को निगम के विभाजन की औपचारिक मांग की गई थी और 26 फरवरी को धारवाड़ में निगम की आम सभा में यह मांग गूंजी थी, जिसमें तत्कालीन पार्षदों ने महापौर पर प्रस्ताव पारित करने का दबाव बनाया था। इसके बाद विभिन्न संगठनों द्वारा विभिन्न प्रकार के विरोध प्रदर्शन किए गए। कर्नाटक विद्यावर्धन संघ की भी अहम भूमिका रही।
लम्बेे समय से की जा रही मांग
धारवाड़ के निवासियों को लगा कि बुनियादी सुविधाओं और विकास कार्यों के निर्माण के मामले में शहर के साथ सौतेला व्यवहार किया गया है। कई प्रतिनिधिमंडलों ने अलग नगर निगम की मांग करते हुए लगातार सरकारों के मुख्यमंत्रियों से मुलाकात की और बताया कि धारवाड़ किस तरह से इसका हकदार है। विभिन्न संंगठनों ने तर्क दिया था कि जहां तक विकास कार्यों का सवाल है, धारवाड़ के साथ सौतेला व्यवहार किया गया। धारवाड़ में शैक्षणिक संस्थानों के विकास के साथ ही शहर का विकास हो रहा है। शहर के लगभग 75 फीसदी हिस्से में जल निकासी व्यवस्था नहीं है और 24 घंटे लापूर्ति परियोजना केवल पांच वार्डों में ही लागू है।
सदन में कई बार उठ चुकी मांग
धारवाड़ के प्रतिष्ठित नागरिकों के एक प्रतिनिधिमंडल ने अगस्त 2021 में हुब्बल्ली में बोम्मई से मुलाकात की थी और निगम के विभाजन की मांग करते हुए एक ज्ञापन सौंपा था। बोम्मई ने कहा था कि धारवाड़ निगम का अलग गठन होना चाहिए। सरकार इस मांग पर विचार कर रही है। इससे मांग पूरी होने की उम्मीद बढ़ गई थी। राज्य विधानमंडल के शीतकालीन सत्र के दौरान बेलगावी में सुवर्ण विधान सौधा में मुख्यमंत्री और शहरी विकास मंत्री ब्यारथी सुरेश से मुलाकात की। भाजपा विधायक अरविंद बेलड ने भी सदन में मांग रखी थी।
चलाया था अभियान
हुब्बल्ली-धारवाड़ नगर निगम वर्तमान में बेंगलूरु के बाद राज्य का दूसरा सबसे बड़ा नगर निगम है। बढ़ती आबादी, उद्योगों, आवास और शिक्षा क्षेत्रों के विस्तार के साथ धारवाड़ शहर को एक अलग महानगर निगम के निर्माण की सार्वजनिक मांग कई मंचों से की जा चुकी है। कई संगठनों ने हुब्बल्ली और धारवाड़ दोनों की विशिष्ट आवश्यकताओं पर प्रकाश डालते हुए धारवाड़ के लिए एक अलग महानगर निगम की स्थापना के लिए अभियान चलाया था।

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