मंदिर के अंदर श्रद्धालुओं के प्रवेश पर रोक
उत्तराखंड के चमोली जिले के देवाल विकासखंड के अंतर्गत सुदूरवर्ती गांव वाण में लाटू देवता का मंदिर स्थित है। इस मंदिर को लेकर अनोखी परंपरा है। कई मंदिरों में महिलाओं के प्रवेश को लिए नियम बनाए गए है। आपको यह जानकर हैरानी होगी कि इस मंदिर में महिला और पुरुष किसी भी श्रद्धालु को मंदिर के अन्दर जाने की इजाजत नहीं है।
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आंखों पर पट्टी बांध कर पुजारी करते हैं पूजा
इस मंदिर को लेकर ऐसी मान्यता है जो देश में शायद किसी भी मंदिर में नहीं होगी। इस मंदिर में भगवान के स्वरूप के दर्शन नहीं किया जाता है। भक्तों के साथ पुजारी भी भगवान के दर्शन नहीं करते है। इस मंदिर में पुजारी के अलावा मंदिर के अंदर कोई प्रवेश नहीं कर सकता। यदि पुजारी मंदिर के भीतर जाता है तो वह अपनी आंखें पर पट्टी बांधकर जाएगा।
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अंधा हो सकता है पुजारी
पुजारी के आंखों पर पट्टी बांधने के बारे ऐसा कहा जाता है कि वह भगवान के महान रूप को देखकर डर ना जाए। इसलिए कई पंड़ित यहां पूजा करने से डरते है। स्थानीय लोगों का कहना है कि मंदिर में मणि की तेज रोशनी होती है जिसकी वजह से इंसान अंधा हो जाता है। इतना ही नहीं, पुजारी के मुंह की गंध तक देवता तक नहीं पहुंचनी चाहिए और नागराज की विषैली गंध पुजारी की नाक तक नहीं पहुंचनी चाहिए। लोगों का मानना है कि अगर गलती से ऐसा हो जाए तो बहुत बड़ी अनहोनी हो सकती है।
साल में एक दिन खुलते हैं कपाट
आपको यह जानकर हैरानी कि इस मंदिर साल में सिर्फ एक बार ही खुलता है। मंदिर के दरवाजे वैशाख महीने की पूर्णिमा के दिन ही खुलते हैं। कपाट खुलने के वक्त भी मंदिर का पुजारी अपनी आंख और मुंह पर पट्टी बांधता है। कपाट खुलने के बाद श्रद्धालु मंदिर के बाहर से ही हाथ जोड़कर दर्शन करते हैं। इस मंदिर में विष्णु सहस्रनाम और भगवती चंडिका पाठ का आयोजन होता है। इसके बाद मार्गशीर्ष अमावस्या मंदिर के दरवाजों को बंद कर दिया जाता है।