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Lockdown: क्या टर्मिनेटर के बेटे की तरह आप भी लॉकडाउन के दिनों का कर सकते हैं सही इस्तेमाल

कोई शौक़ पूरा कर सकते हैं या कोई हुनर सीख सकते हैं।
अर्नॉल्ड श्वार्जनेगर के बेटे जोसेफ बेना ने दिया बड़ा संदेश।
लॉकडाउन के वक्त को सपना पूरा करने में लगा सकते हैं।

Arnold Schwarzenegger and his son Joseph Baena

Arnold Schwarzenegger and his son Joseph Baena

नई दिल्ली। कोरोना वायरस के बढ़ते खतरे को नियंत्रित करने के लिए 21 दिन के लॉकडाउन पीरियड को बढ़ाए जाने की चर्चाएं जारी हैं। संभावना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 14 अप्रैल को इसके खत्म होने से पहले इसे 30 अप्रैल तक के लिए बढ़ा सकते हैं। ऐसे में अगर आप भी उनमें से हैं जो लॉकडाउन-1 का सही से इस्तेमाल नहीं कर पाए, तो निराश ना हों। आप मशहूर हॉलीवुड फिल्म टर्मिनेटर के हीरो अर्नॉल्ड श्वार्जनेगर के बेटे से सीख सकते हैं, कि कैसे इस वक्त का सही से प्रयोग किया जाए।
दरअसल, अर्नॉल्ड श्वार्जेनगर के बेटे जोसेफ बेना ने तीन दिन पहले अपने इंस्टाग्राम अकाउंट पर अपनी एक तस्वीर पोस्ट की। इस तस्वीर में जोसेफ अपने पिता अर्नॉल्ड के जवानी के उस पोज में नजर आ रहे हैं, जो पूरी दुनिया मे मशहूर है। बॉडी बिल्डिंग में दुनिया की तमाम प्रतियोगिताओं में अपना वर्चस्व जमाने वाले अर्नॉल्ड के इस पोज को उनके बेटे ने जब शेयर किया, तो इसे पसंद करने वालों की लाइनन लग गई।
बुधवार 8 अप्रैल को इंस्टाग्राम पर डाले गए इस पोस्ट के बारे में बारे में 22 वर्षीय बेना ने लिखा, “पोज देने के अभ्यास के लिए यह बिल्कुल मुफीद वक्त है।”

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Perfect time to practice some posing!

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बिजनेस स्टडीज में डिग्री हासिल करने के साथ ही अपने पिता से विरासत में बॉडी बिल्डिंग के प्रति जबर्दस्त दिलचस्पी रखने वाले बेना के इस पोस्ट को 23 हजार से ज्यादा लोगों ने लाइक किया है।
जोसेफ बेना की इस पोस्ट के जरिये पत्रिका आपको यह बताना चाहता है कि लॉकडाउन का यह वक्त कभी ना वापस आने वाला ऐसिहासिक समय है। एक ऐसा वक्त जब आपको कहीं बाहर नहीं जाना है और बाहर के सारे कार्यक्रम रद्द हो चुके हैं, तो इस वक्त का सदुपयोग अपने कौशल, हुनर या शौक को पूरा करने में क्यों ना लगाया जाए।
इस संबंध में ग्रेटर नोएडा स्थित गौतमबुद्ध यूनिवर्सिटी में मनोविज्ञान के डॉ. आनंद प्रताप सिंह कहते हैं कि इसमें कोई दो राय नहीं है कि कोरोना वायरस और लॉकडाउन एक ऐतिहासिक मौका है, जिसके लिए कोई भी व्यक्ति तैयार नहीं था। बावजूद लोगों को इन पाबंदियों का पालन करना पड़ रहा है। ऐसे में खुद को व्यस्त रखना ही नहीं बल्कि बेहतर बनाना प्रमुख उद्देश्य होना चाहिए और रोजाना मिलने वाले वक्त को किसी ऐसे काम में लगाना चाहिए, जो आज तक आपने सोचा लेकिन वक्त ना होने के चलते नहीं कर पाए।
मनोचिकित्सक डॉ. अराधना गुप्ता कहती हैं कि हमेशा वक्त गुजर जाने के बाद ही इंसान उसके बारे में सोचता है कि काश उस समय यह कर लेता। लेकिन अभी भी वक्त पूरी तरह गुजरा नहीं है। मौजूदा माहौल को देखते हुए लॉकडाउन के और बढ़ाए जाने की संभावना है। ऐसे में कोई एक शौक पकड़ लीजिए, कोई स्किल डेवलप करने के लिए ऑनलाइन कोर्स चुन लीजिए या अपने हुनर को लोगों तक पहुंचाने के लिए एक माध्यम चुन लीजिए, बस व्यस्त हो जाइए और आपको बाद में पता चलेगा कि आपने कितने शानदार ढंग से इस लॉकडाउन में वो किया, जो आपका सपना था।

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