पहाड़ी और सौंदर्य के बीच बसा मंदिर
चित्तौड़गढ़ जिले की जोगणिया माता के बारे में यही कहा जाता है कि मां के दर से कोई कभी खाली हाथ नहीं जाता। चाहे वो राज हो रंक हो या कोई अपराधि। माता रानी सबकी मन्नतों को पूरा किया है। चित्तौड़गढ़ की पहाड़ी और सौंदर्य के बीच घिरा प्राचीन और अद्भुत जोगणिया माता का मंदिर है। इतिहास के अनुसार इस मंदिर का निर्माण 8वीं शताब्दी ईवीं के लगभग हुआ था। मान्यता है कि पहले यहां अन्नूपर्णा देवी का मंदिर हुआ करता था। जिसके बाद अन्नपूर्णा के बजाय जोगणिया माता के नाम से यह शक्ति पीठ पूरे लोक में प्रसिद्ध हुआ।
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अपने आप खुल जाती थी बेड़िया
इस मंदिर परिसर में बहुत सारी हथकड़ियां लटकी हुई है। इनके बारे में कहा जाता है कि चोर और डाकू वारदात को अंजाम देने से पहले माता का आशीर्वाद लिया करते थे। जिनके पुलिस के हत्थे चढ़ने के बाद मौके से फरार होते हुए मां के दरबार पहुंचते था जहां उनके हाथों में लगी बेड़िया अपने आप ही खुल जाया करती थी।
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किसी जेल का स्ट्रक्चर किया भेंट
बताया जाता है जब कोई चोर या डाकू जेल की सजा पूरी करते आता है या जेल तोड़कर भाग करके आता तो वह मंदिर में हथकड़ी भेंट करता है। यहां हथकड़ी भेंट करने के बाद वह दोबारा अपराध नहीं करने का संकल्प भी लेता है। पिछले दिनों यहां किसी ने जेल का स्ट्रक्चर भेंट किया था। लोहे से बने इस जेल के स्ट्रक्चर में उसका दरवाजा टूटा हुआ है। इसको देखकर अंदाजा लगाया जा रहा है कि कोई कैदी जेल तोड़कर आया था। मन की मुराद पूरी होने के बाद उसने जेल का यह लोहे का बना स्ट्रक्चर मंदिर में भेंट किया है।
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