मंगलवार को शाम साढ़े सात बजे निशान दर्शन, आरती व प्रसाद वितरण रात ९.३० बजे से शुरू होगा। प्रति वर्ष माघ की पूर्णिमा को बाबा का निशान चढ़ता है एवं मेला उत्सव मनाया जाता है। ३१ को पूर्णिमा है लेकिन चंद्रग्रहण की वजह से कार्यक्रम को एक दिन पहले किया गया है। बुधवार को सुबह ७.१५ बजे से रात ८.३० बजे तक समाधि स्थल के पट बंद रहेंगे।
रामजी बाबा के मेले की शुरुआत गौरी शाह बाबा को निशान चढ़ाने के बाद ही होती है, निशान के रूप में श्रद्धालु रामजी बाबा की समाधि से चादर लेकर ग्वाल टोली स्थित गौरी शाह बाबा की दरगाह पहुंचते हैं। इसके बाद ही मेला शुरू होता है। इसका कारण दोनों संतों के बीच अलग-अलग धर्म का होने के बाद भी प्रगाढ़ मित्रता होना है। एक हिंदू संत रामजी बाबा और दूसरे मुस्लिम संत गौरी शाह बाबा की दोस्ती हर किसी के लिए मिशाल है।
दोनों संतों की दोस्ती उनकी मजार और समाधि पर भी दिखती है। समाधि पर जहां मजार का चिन्ह है वहीं मजार पर समाधि का निशान है। कहते हैं कि रामजी बाबा की समाधि के निर्माण के समय समाधि के शिखर पर छतरी अपनी जगह पर नहीं लग रही थी, तब रामजी बाबा ने पुजारी को स्वप्न में दर्शन देकर गौरीसा बाबा की दरगाह से प्रतीक के रूप में एक पत्थर लाने को कहा था, जैसे ही उस पत्थर को छतरी के साथ लगाया सब ठीक हो गया। ऐसा ही प्रतीक चिन्ह गौरी शाह बाबा की दरगाह पर रामजी बाबा की समाधि पर प्रतीक के रूप में गुंबज पर लगा है।
रामजी बाबा के समाधि लेने के सैकड़ों साल बाद भी उनकी चरण पादुकाएं और गादी समाधि स्थल के पीछे घर में सुरक्षित हैं। जहां शहरवासी दर्शन करने पहुंचते हैं। डेढ़ सौ साल से जल रही अखंड ज्योति
रामजी बाबा की समाधि पर करीब डेढ़ सौ सालों से अखंड ज्योत जल रही है। मंदिर के गणेश दास महंत बताते हैं कि वह बाबा की 11 वीं पीढ़ी के वंशज हैं। हमारे पूर्वजों ने भी इस ज्योति का जिक्र किया है।
रामजी बाबा की समाधि पर फिल्म अभिनेता और पूर्व सांसद रहे सुनील दत्त और फिल्म अभिनेता ऋषि कपूर भी यहां आकर दर्शन कर चुके हैं। हर मंगल शुरुआत से पहले दर्शन
शहर में कोई भी मांगलिक कार्य की शुरुआत बिना बाबा के आर्शीवाद के नहीं होती है, चाहे वह शादी विवाह हो या व्यापार व्यवसाय की शुरुआत।