ज्योतिष गणना:
आकाश में होने जा रही इस दुर्लभ खगोलीय घटना के संबंध में ज्योतिष के जानकार पंडित सुनील शर्मा के अनुसार यह स्थिति एक गंभीर रुप ले सकती है, दरअसल सोमवार मगलवार की दरमियानी रात शनि पृथ्वी के सामने होंगे। वहीं अमावस्या होने के चलते इस दिन चंद्र का प्रभाव भी देखने को मिलेगा। साथ ही इस दिन सोमवार (चंद्र) होने के चलते शनि का प्रभाव लोगों को काफी उत्तेजित कर सकता है।
जिसके चलते इस दिन स्थिति विष के समान बनने की संभावना है। ऐसे में कई जगह बनती बातें अचानक बिगड़ सकती हैं। जबकि कुछ जानकारों के अनुसार ये तो सच है कि इस दिन स्थिति काफी हद तक गंभीर रहने का अनुमान है, लेकिन सावन माह होने के साथ ही सावन का तीसरा सोमवार होने के कारण चंद्र के योग से विष निर्माण होता कम ही दिख रहा है। इससे बचने का मुख्य उपाय शिव अराधना है।
क्या कहता है खगोलीय विज्ञान…
एक सप्ताह में ग्रहों के पृथ्वी की सीध में आने की इस दुर्लभ तीसरी खगोलीय घटना की जानकारी देते हुए विज्ञान प्रसारक सारिका घारू (नेशनल अवार्ड प्राप्त) ने बताया कि पृथ्वी का शनि और सूर्य के बीच में रहते हुए एक सीध में आने की यह घटना सेटर्न एट अपोजिशन कहलाती है।
सारिका के अनुसार अमावस्या होने से पृथ्वी का चंद्रमा सूर्य की तरफ होने से सारी रात नहीं दिखाई देगा। वहीं शनि आज पृथ्वी की सीध में होगा। शनि के 53 चंद्रमाओं की पुष्टि हो चुकी है, इसके साथ ही 29 अन्य की पुष्टि की जा रही है।
ये है खास
अपोजीशन की स्थिति में इस साल के लिए शनि की पृथ्वी से दूरी सबसे कम होगी। कोरी आंख से तो ये तारे के रूप में दिखेगा, लेकिन टेलिस्कोप या अच्छे बाइनाकुलर से इसके रिंग बहुत अच्छे से देखे जा सकेंगे।
शनि सूर्य से इतना दूर है कि सूर्य के प्रकाश को शनि तक पहुंचने में 83 मिनिट का समय लगता है। वहीं शनि इतना विशाल है कि इसके व्यास पर रखने के लिए 9 पृथ्वी की जरूरत होंगी। सारिका के अनुसार शनि का एक दिन लगभग 11 घंटे के बराबर है तो इसका एक साल पृथ्वी के 29 सालों से कुछ अधिक है। वहीं हाईड्रोजन और हीलियम से बने इस गैसीय पिंड में ठोस धरातल नहीं है।
विज्ञान प्रसारक के अनुसार रिंगों के कारण मनमोहक दिखने वाला शनि की जानकारी लेने नासा के स्पेसक्राफ्ट पायोनियर 11 औश्र वायजर 1 व 2 इसके पास से निकल चुके हैं। 2004 से 2017 तक इसकी 294 परिक्रमा कर डाटा एकत्र करने के बाद दो टन का केसिनी इसमें समा गया।