आम लोगों तक दवाओं की पहुंच एआइ के मदद से जीवनरक्षक दवाओं को तेजी से बाजार में पहुंचाना आसान हुआ है। मरीज की आनुवांशिक जानकारी, जीवनशैली, मेडिकल हिस्ट्री सहित अन्य डाटा भी तैयार करने में भी मदद मिल रही है। टीबी और कैंसर की जानकारी प्रारंभिक चरण में ही मिल जाती है। इससे समय पर उपचार शुरू किया जा सकता है। तकनीक का ही कमाल है कि फर्जी हेल्थ केयर क्लेम्स को पकडऩा भी आसान हुआ है। क्लेम्स की प्रोसेसिंग, अपू्रव्ल और भुगतान में तेजी आई है।
सर्जरी के जोखिमों का पता लगाने में सक्षम एआइ और रोबोट्स ने सर्जिकल प्रक्रियाओं में क्रांतिकारी बदलाव किए हैं। इससे रक्त की कमी, दर्द और अन्य दुष्प्रभावों के जोखिम कम हुए हैं। अब सर्जन अधिक सटीकता से सर्जरी कर रहे हैं और मरीजों की रिकवरी जल्द हो रही है। नीदरलैंड्स के मास्ट्रिच यूनिवर्सिटी मेडिकल सेंटर में छोटी रक्त वाहिकाओं पर टांके एआइ-संचालित रोबोट लगा रहे हैं। सिंगापुर में सर्जरी से जुड़े जोखिमों का पता लगाने के लिए प्रिडिक्टिव एआइ टूल 90 प्रतिशत अधिक सटीकता से भविष्यवाणी कर रहा है।
…लेकिन ये चुनौतियां भी स्वास्थ्य जगत में एआइ के इस्तेमाल से जुड़ी कई चुनौतियां भी हैं। इसके लिए इलेक्ट्रॉनिक हेल्थ रेकॉर्ड, फार्मेसी रेकॉर्ड सहित डेटा की जरूरत होती है। मरीज अलग-अलग डॉक्टरों से इलाज कराते हैं, जिससे डेटा मिलने में दिक्कत होती है। ऐसे में गलतियां होने की आशंका रहती है। मरीजों के संवेदनशील डेटा को सुरक्षित रखना भी चुनौती है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी कहा था कि परीक्षण के बिना एआइयुक्त साधनों का उपयोग मरीजों के लिए हानिकारक हो सकता है।
चिकित्सा जगह में एआइ का प्रयोग 1. मशीन लर्निंग: मरीज की बीमारी और लक्षणों को देखकर जोखिम बताता है। 2. नेचुरल लैंग्वेज प्रोसेसिंग: इसका प्रयोग चिकित्सीय दस्तावेजों को तैयार करने और शोध प्रकाशित करने के लिए होता है।
3. रोबोटिक प्रोसेस ऑटोमेशन: इसमें मरीज के डेटा या बिलिंग संबंधी रेकॉर्ड रखने के लिए सॉफ्टवेयर रोबोट का प्रयोग होता है।