विश्व रक्त कैंसर दिवस (World blood cancer day) हर साल रक्त कैंसर और थैलेसीमिया जैसी अन्य खतरनाक रक्त विकारों के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए मनाया जाता है। इन बीमारियों से भारत में लाखों लोग प्रभावित हैं।
हालांकि कीमोथेरेपी और रेडिएशन थेरेपी जैसे पारंपरिक तरीके मौजूद हैं, रक्त कैंसर के कई रोगियों के लिए एकमात्र उम्मीद स्टेम सेल प्रत्यारोपण (Stem cell therapy) ही है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने बताया कि भारत में हर 5 मिनट में किसी न किसी व्यक्ति को रक्त कैंसर का पता चलता है। इसके बावजूद, देश में स्टेम सेल दाताओं (Stem Cell Donor) की भारी कमी है।
भारत दुनिया की थैलेसीमिया राजधानी
गुरुग्राम के फोर्टिस मेमोरियल रिसर्च इंस्टीट्यूट के प्रमुख निदेशक और मुख्य BMT डॉ राहुल भार्गव ने बताया, भारत दुनिया की थैलेसीमिया राजधानी होने के साथ-साथ रक्त कैंसर के मामले भी बहुत ज्यादा हैं। स्टेम सेल प्रत्यारोपण (Stem cell therapy) ही इन बीमारियों का इलाज है, लेकिन भारत जैसे आनुवंशिक रूप से विविध देश में एक अनुकूल स्टेम सेल दाता (Stem Cell Donor) ढूंढना मुश्किल है।
भारत में केवल लगभग 6 लाख लोग ही दाता के रूप में रजिस्टर्ड
एक गैर-लाभकारी संस्था DKMS BMST फाउंडेशन इंडिया के सीईओ पैट्रिक पॉल ने कहा, भारत में हर पांच मिनट में किसी न किसी व्यक्ति को रक्त कैंसर या किसी गंभीर रक्त विकार का पता चलता है। दुनिया भर में 4.1 करोड़ से अधिक दाता होने के बावजूद, भारत में केवल लगभग 6 लाख लोग ही दाता के रूप में रजिस्टर्ड हैं। हजारों रोगियों को जीवन रक्षक प्रत्यारोपण के लिए मिलने वाले स्टेम सेल दाताओं (Stem Cell Donor) की सख्त जरूरत है। हमें इन रोगियों को लड़ने का मौका देने के लिए अपने दाता डेटाबेस का काफी विस्तार करने की आवश्यकता है। विशेषज्ञों ने स्टेम सेल दान (Stem Cell Donor) की प्रक्रिया के बारे में जागरूकता की कमी और गलतफहमी पर भी चिंता जताई, जिसके कारण लोग दाता के रूप में रजिस्टर करने में हिचकिचाते हैं।
डॉ राहुल ने कहा, स्टेम सेल दाता रजिस्ट्री में जागरूकता बढ़ाना और भागीदारी इस जीवन रक्षक जरूरत को पूरा करने के लिए महत्वपूर्ण है। आसान शब्दों में कहें तो, स्टेम सेल थेरेपी (Stem cell therapy) क्षतिग्रस्त ऊतकों या अंगों को ठीक करने या उन्हें पूरी तरह से बदलने के लिए स्टेम सेल का उपयोग करती है। इसका उपयोग कुछ प्रकार के रक्त कैंसर, जैसे ल्यूकेमिया और लिम्फोमा के इलाज के लिए किया जाता है।
विशेषज्ञों ने बताया कि स्टेम सेल प्रत्यारोपण के लिए मिलान सिर्फ ब्लड ग्रुप के आधार पर नहीं, बल्कि ह्यूमन ल्यूकोसाइट एंटीजन (HLA) विशेषताओं के आधार पर होता है। संभावित स्टेम सेल दाता बनने के लिए 18 से 55 वर्ष के बीच का स्वस्थ वयस्क होना आवश्यक है।