सर्दियों में हार्ट के ख्याल की टिप्स : Heart attack in winters
ब्लड प्रेशर की नियमित जांच: सर्दियों में रक्तचाप की नियमित निगरानी करना आवश्यक है। इससे हृदय से जुड़ी समस्याओं का समय पर पता लगाया जा सकता है। सर्दी के मौसम में शारीरिक गतिविधियों में कमी और अस्वस्थ आहार के कारण रक्तचाप में उतार-चढ़ाव हो सकता है, जो हृदय (Heart attack in winters) रोगों के जोखिम को बढ़ा सकता है। गर्म कपड़े पहने: सर्दियों में अपने शरीर को गर्म रखने के लिए गर्म जैकेट, टोपी, जूते और दस्ताने पहनना आवश्यक है। इस प्रकार के कपड़े शरीर की गर्मी को बनाए रखने में सहायक होते हैं, जिससे संक्रमण का खतरा कम होता है। इसके अलावा, यह हृदय संबंधी समस्याओं के जोखिम को भी घटाता है।
हाइड्रेटेड रहें: सर्दियों में प्यास का अनुभव कम होता है। इस दौरान शरीर को हाइड्रेटेड रखने के लिए नियमित रूप से पानी पीते रहना चाहिए। हृदय को स्वस्थ रखने के लिए हाइड्रेशन बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह रक्त की मात्रा और चिपचिपाहट को संतुलित रखने में सहायता करता है, जिससे हृदय की पंपिंग सुचारू रूप से होती है और हृदय स्वस्थ रहता है।
इस समय ज्यादा सतर्क रहें हार्ट मरीज
हार्ट के मरीजों के लिए सुबह 6 से 10 बजे के बीच ज्यादा ध्यान देने वाला माना जाता है। ऐसे मे आपको सही डाइट लेते रहना चाहिए। सर्दियों के मौसम में रक्त वाहिकाएँ संकुचित हो जाती हैं, जिससे रक्त संचार की गति कम हो जाती है। इसके परिणामस्वरूप हृदय पर अतिरिक्त दबाव पड़ता है। हृदय की मांसपेशियों को आवश्यक ऑक्सीजन की कमी हो जाती है, जिससे दिल का दौरा (Heart attack in winters) पड़ने का खतरा बढ़ जाता है।
सुबह के वक्त हार्ट अटैक का खतरा ज्यादा
सुुबह के समय हार्ट अटैक (Heart attack in winters) का खतरा ज्यादा बना रहता है। इसके पीछे कई वेज्ञानिक कारण भी बताए जाते हैं। जब हम नींद से जागते हैं, तब हमारे शरीर में कोर्टिसोल हार्मोन का स्तर बढ़ जाता है। इसे ‘स्ट्रेस हार्मोन’ के नाम से भी जाना जाता है, जो रक्तचाप को बढ़ाता है और हृदय को अधिक कार्य करने के लिए प्रेरित करता है। डिसक्लेमरः इस लेख में दी गई जानकारी का उद्देश्य केवल रोगों और स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के प्रति जागरूकता लाना है। यह किसी क्वालीफाइड मेडिकल ऑपिनियन का विकल्प नहीं है। इसलिए पाठकों को सलाह दी जाती है कि वह कोई भी दवा, उपचार या नुस्खे को अपनी मर्जी से ना आजमाएं बल्कि इस बारे में उस चिकित्सा पैथी से संबंधित एक्सपर्ट या डॉक्टर की सलाह जरूर ले लें।