खुश होने पर भी हो सकती है इमोशनल इटिंग की समस्या- Emotional eating can be a problem even if you are happy इमोशनल बिंज ईटिंग केवल बेहद दुखी होकर ही नहीं, बल्कि खुशी में भी होती है, लेकिन दुख या स्ट्रेस में इसकी आदत पड़ने के चांसेज ज्यादा होते हैं। जब डिप्रेशन, तनाव में होते हैं तो शरीर में स्ट्रेस हार्मोन बढ़ने लगता है। ये हार्मोन कॉर्टिसोल होता है। इसके बढ़ने से दिमाग मन को उकसाता है कि वह ऐसी चीजें खाए जिससे उनके स्ट्रेस को कम होने में मदद मिले। ऐसे फूड दो कैटेगरी में आते हैं, हाई शुगर और हाई फैट। जंक फूड, प्रॉसेस्ड फूड, चिप्स, कुकीज, कोक, चॉकलेट या मीठी चीजें खाते ही मूड सही होने लगता है।
इमोशनल बिंज ईटिंग की समस्या किसे ज्यादा- Who is more prone to emotional binge eating? इमोशनल बिंज ईंटिंग के शिकार महिला-पुरुष दोनों ही होते हैं, लेकिन इस समस्याओं से महिलाएं ज्यादा जूझती हैं। इमोशनल ईटिंग को भूख समझ कर खाने की आदत समझने वाले या जिन लोगों को स्ट्रेस बहुत होता है, उनकमें इमोशन ईटिंग की संभावना ज्यादा होताी है। कई बार लोग रोते-रोते भी खाते रहते हैं। क्योंकि उनके दिमाग को इससे काफी राहत मिलती है।
इमोशनल बिंज ईटिंग से बचने के उपाय- Ways to avoid emotional binge eating तो इन बातों का ध्यान रखकर आप स्ट्रेस से भी बाहर आएंगे और आपकी इमोशनल इटिंग की आदत भी नहीं पड़ेगी।
डिस्क्लेमर- आर्टिकल में सुझाए गए टिप्स और सलाह केवल आम जानकारी के लिए दिए गए हैं और इसे आजमाने से पहले किसी पेशेवर चिकित्सक सलाह जरूर लें। किसी भी तरह का फिटनेस प्रोग्राम शुरू करने, एक्सरसाइज करने या डाइट में बदलाव करने से पहले अपने डॉक्टर से परामर्श जरूर लें।