यूएस सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन के अनुसार, म्यूकोर्मिकोसिस, म्यूकोरालेस(Mucormycosis, Mucorales Fungus ) के कारण होने वाला एक खतरनाक संक्रमण है, जिसकी कुल मृत्यु दर 54 प्रतिशत तक है। बता दें कि पिछले साल नवंबर तक म्यूकोर्मिकोसिस के 51,775 मामले दर्ज किए गए थे। म्यूकोरालेस फंगस का एक सहप्रोफिलस (गोबर-प्रेमी) समूह, शाकाहारी जीवों के मलमूत्र पर पनपता है और भारत में गाय भैंस की आबादी 300 मिलियन से भी अधिक है।
अमेरिकन सोसाइटी फॉर माइक्रोबायोलॉजी की एक मैग्जीन एमबायो में अप्रैल में प्रकाशित पेपर में बताया गया है कि म्यूकोरालेस गाय का मल-मूत्र में सबसे ज्यादा होता है। विशेष रूप से महामारी के दौरान कई भारतीय अनुष्ठानों में इसका उपयोग के कारण ही संभव है कि COVID-19 के रोगियों में यह महामारी की तरह सामने आया था।
पेपर के लेखक और ह्यूस्टन, टेक्सास के एक स्वतंत्र शोधकर्ता का दावा है कि भारत में COVID-19 से जुड़े म्यूकोर्मिकोसिस की असामान्य रूप से बढ़ने के पीछे चिकित्सकों और शोधकर्ताओं द्वारा SARS-Cov- के संयोजन के लिए दिया गया था। मधुमेह के साथ वायरल संक्रमण और स्टेरॉयड दिए जाने से ये खतरा उनमें ज्यादा था।
दूसरे देशों में क्यों बढ़ा खतरा
अन्य देशों में भी ब्लैक फंगस का खतरा समान रूप से था, लेकिन इसके पीछे कारण इन गोबरों के जलाने से निकलने वाले धुएं को माना गया है। धुंआ म्यूकोरालेस बीजाणुओं के संपर्क में वृद्धि कर थे जो हवाओं में फैलते रहे। दावा है कि बायोमास जलाने के धुएं के माध्यम से फंगल बीजाणु व्यापक रूप से फैलते हैं, इसलिए म्यूकोरालेस से भरपूर गाय के गोबर और फसल के अवशेषों को जलाने की प्रथा से म्यूकोरालेस बीजाणु पर्यावरण में फैलते हैं।
कहां-कहां यूज होता है गाय का गोबर
गाय का गोबर भारत में पारंपरिक जीवन का एक हिस्सा है और कई पारंपरिक आयुर्वेदिक दवाओं में एक घटक के रूप में उपयोग किया जाता है। आम अनुष्ठानों में, शवों पर गोबर लगाना, गोमूत्र पीना, और त्योहारों, प्रार्थनाओं के दौरान अनुष्ठान शुद्धिकरण के रूप में गोबर के धुएं को जलाया जाता है। यही नहीं, घर को लेपने के लिए भी गाय के गोबर का प्रयोग होता है।