एडीज की कई प्रजातियां जीका संचारित कर सकती हैं। इनमें से मुख्य है एडीज एल्बोपिक्ट्स और एडीज इजिप्टी जिसे येलो फीवर मॉस्किटो के रूप में जाना जाता है। तो आइए जानते हैं जीका वायरस से जुड़ी और भी जरूरी जानकारी।
इसके लक्षण कई बार स्पष्ट रूप से सामने नहीं आते, लेकिन शुरुआती कुछ संकेत शरीर में देखकर इसके होने का अंदाजा लग सकता है। तेज बुखर, रेशेज, जोड़ों में दर्द, मांसपेशियों में दर्द, सिरदर्द और उल्टी जैसे लक्षण जीका वायरस में नजर आते हैं। जीका वायरस का संक्रमण काफी गंभीर होता है। यदि गर्भवती महिला इस वायरस से संक्रमित हो जाए, तो अजन्मे बच्चे में मास्तिष्क दोष पैदा हो सकते हैं। इसे माइक्रोसेफेली के रूप में जाना जाता है। इसमें नवजात शिशु का मास्तिष्क और सिर सामान्य से आकार में छोटा हो जाता है।
जीका वायरस के संक्रमण के बाद लोगों में गुइलेन बैरे सिंड्रोम एक गंभीर ऑटोइम्यून डिसऑर्डर होने का भी खतरा रहता है। इस बीमारी में सेंट्रल नवर्स सिस्टम प्रभावित होता है।
जीका मच्छरों से से दूसरे में फैलता है। गर्भवती महिला से उसके भ्रूण तक, यौन संपर्क के जरिए और ब्लड ट्रांसफ्यूजन के जरिए भी यह फैल सकता है। सेंटर फॉर डिसीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (CDC ) के अनुसार किसी व्यक्ति को वायरस होने के बाद वह भविष्य में इससे सुरक्षित रह सकता है।
जीका के लक्षण काफी हद तक फ्लू से मिलते -जुलते हैं। कई रेपिड डिटेक्शन टेस्ट से इस वायरस का पता चलता है। फिलहाल जीका का कोई इलाज नहीं है। लेकिन इसके लक्षण दिखने वाले व्यक्ति को आराम और निर्जलीकरण को रोकने के लिए तरल पदार्थ अधिक से अधिक लेने और आराम करने की सलाह दी जाती है। दर्द और बुखार से छुटकारा पाने के लिए पेन किलर्स दिया जाता है।
इंसेक्ट रिपेलेंट का यूज करें।
फुल स्लीव्स के कपड़े पहनें।
विंडों और डोर स्क्रीन का इस्तेमाल करें।
बिस्तर में मच्छरदानी लगाएं। वायरस फैलाने से कैसे बचें- How to Avoid Spreading the Virus