मरीज ने सबसे पहले अपने स्तन में एक छोटी गांठ देखी, लेकिन पांच महीने तक डॉक्टर के पास जाने में देरी कर दी। इस दौरान गांठ 2 सेमी से बढ़कर 23 सेमी तक पहुंच गई।
गुरुग्राम के सीके बिड़ला अस्पताल के डॉक्टरों ने इसे फाइलोड्स ट्यूमर बताया। हालांकि इसे स्तन कैंसर नहीं माना जाता है, लेकिन यह इतना बड़ा हो गया था कि अब स्तन को बचाना संभव नहीं था।
ऑपरेशन का नेतृत्व करने वाले अस्पताल के ब्रेस्ट सेंटर के प्रमुख डॉ रोहन खंडेलवाल ने एक बयान में कहा, “मरीज हमारे पास पूरे स्तन को प्रभावित करने वाली एक बड़ी गांठ के साथ आई थी, जिसे फाइलोड्स ट्यूमर के रूप में पहचाना गया था। स्तन में गांठ होने के बावजूद उन्होंने दर्द न होने के कारण लंबे समय तक इसकी अनदेखी की। गांठ के आकार को देखते हुए उन्हें ट्यूमर हटाने की सर्जरी करानी पड़ी, जिसमें उनके बाएं स्तन को नहीं बचाया जा सका।”
उन्होंने आगे कहा, “हालांकि, ट्यूमर को निकालने के बाद स्तन का सफलतापूर्वक पुनर्निर्माण किया गया। यह मामला दर्द रहित गांठों को कम आंकने के खतरों को उजागर करता है, खासकर जब उनका आकार बढ़ रहा हो।”
फाइलोड्स ट्यूमर एक दुर्लभ स्थिति है, जिसे अगर जल्दी पता लगा लिया जाए, तो अक्सर कीमोथेरेपी के बिना इलाज किया जा सकता है। हालांकि, इस विशेष मामले में, ट्यूमर के आकार के कारण पूरे स्तन को हटाना आवश्यक था।
डॉ रोहन ने कहा, “अगर मरीज जल्दी चिकित्सीय सलाह लेते हैं, तो हम अक्सर स्तन को बचा सकते हैं। हालांकि, ऐसे मामलों में जहां ट्यूमर काफी बढ़ गया है, जैसा कि इस मामले में हुआ है, पुनर्निर्माण उपचार योजना का एक महत्वपूर्ण पहलू बन जाता है।”
डॉक्टरों ने बताया कि अब ठीक होने की राह पर चल रही मरीज को उपचार योजना के तहत रेडियोथेरेपी की भी आवश्यकता होगी।