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हाथरस

हाथरस केस हाईकोर्ट ने 16 जनवरी को सभी पक्षों के सामने ऑडियो-वीडियो क्लिप देखने का प्रस्ताव रखा

सीबीआई ने दाखिल की 2000 पेज की चार्चशीट
हाईकाेर्ट ने कहा दाेनाें पक्ष देख लें ऑडियो-वीडियो

हाथरसDec 18, 2020 / 11:15 pm

shivmani tyagi

Interim order of Court and subordinate courts extended till June 10

हाथरस की घटना पर हाईकाेर्ट सख्त, यूपी सरकार के शीर्ष अफसरों को किया तलब

पत्रिका न्यूज़ नेटवर्क

हाथरस ( Hathras case Updates ) सीबीआई ने गुरुवार को 2000 पन्नों की चार्जशीट हाथरस की एक स्थानीय अदालत में दाखिल कर दी। इधर इलाहाबाद हाईकोर्ट ( High Court ) ने हाथरस मामले में ऑडियो वीडियो क्लिप देखने के लिए 16 दिसंबर का प्रस्ताव दिया है। हाईकोर्ट ने कहा है कि विभिन्न पक्षों के वकील तत्कालीन जिला मजिस्ट्रेट और एसपी के अलावा पीड़ित परिवार के एक या दो सदस्यों की मौजूदगी में रिकॉर्ड पर उपलब्ध ऑडियो और वीडियो क्लिप को दिखाया जाए।
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न्यायमूर्ति पंकज मित्तल और न्यायमूर्ति राजेंद्र राय की खंडपीठ ने दोनों पार्टियों के वकीलों की सहमति से यह तारीख नीयत की है। ऑडियो-वीडियो क्लिप को देखने के लिए लखनऊ हाईकोर्ट के वीडियो कॉन्फ्रेंस रूम या किसी अन्य उपयुक्त स्थान का चयन किया जाएगा। अदालत ने यह भी कहा है कि उपयुक्त स्थान का चयन करके दोनों पक्षों के वकीलों को इसकी सूचना दी जाएगी।
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बता दें कि इस मामले में निचली अदालत ने 18 दिसंबर तक जांच करके अपनी रिपोर्ट न्यायालय में प्रेषित करने के निर्देश सीबीआई को दिए थे और इन्हीं निर्देशों के अनुपालन में सीबीआई ने गुरुवार को चारों आरोपियों के खिलाफ स्थानीय अदालत में आरोप पत्र दाखिल कर दिया। सीबीआई ने जो चार्जशीट दाखिल की है उसमें संदीप, लवकुश, रवि और रामू चारों को आरोपी बनाया है. चार्जशीट धारा 376, 376ए और 376d समेत हत्या की धारा 302 के अलावा एससी-एसटी एक्ट अधिनियम की धाराओं के तहत दाखिल की है।
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हाईकाेर्ट में पीड़ित परिवार की वकील सीमा कुशवाहा ने कहा कि जिलाधिकारी ने उनकी मांगों को स्वीकार नहीं किया। पीड़ित पक्ष के वकील ने अदालत को कहा कि जिलाधिकारी ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के साथ बातचीत के आधार पर पीड़ित परिवार को लिखित रूप में आश्वस्त किया था लेकिन उन्हें मुआवजे के हिस्से को छोड़कर उनकी अन्य कोई भी मांग पूरी नहीं हुई है। विरोध में खड़े वरिष्ठ वकील एसवी राजू ने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि राज्य सरकार और जिला मजिस्ट्रेट के निर्देश के अनुसार नौकरी या मकान आदि की कोई मांग स्वीकार नहीं की गई थी। दोनों पक्षों को सुनने के बाद अब कोर्ट ने कहा है कि एक बार ऑडियो और वीडियो सामग्री संबंधित वकील व दाेनाें पक्षों द्वारा देख ली जाए उसके बाद उन पर अपनी प्रतिक्रिया दर्ज कराने का अवसर खुला होगा। अब इस मामले में अगली सुनवाई 27 जनवरी 2021 को होगी

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