चने की दाल का भोग लगाने की ये है वजह
आपके मन में ये सवाल ज़रूर आया होगा कि, ऋणमुक्तेश्वर मंदिर में भगवान शिव को चने की दाल का भोग लगाने के पीछे कारण क्या है? इसका जवाब देते हुए मंदिर के पुजारी पंडित दिलीप व्यास ने कहा कि, ऐसी धार्मिक मान्यता है कि, ऋणमुक्तेशवर मंदिर देवताओं के गुरु बृहस्पति का स्थान है। भगवान शिव ने ही सभी ग्रहों को अलग-अलग स्थान दिया है, इनमें से बृहस्पति को ऋणमुक्तेश्वर मंदिर में स्थान दिया। शिव के अलावा गुरु बृहस्पति का स्थान होने की वजह से इस मंदिर का महत्व ज्यादा है। गुरु बृहस्पति को पीला रंग अधिक प्रिय है, यही कारण है कि भगवान शिव को यहां चने की दाल का भोग लगाया जाता है। यही नहीं इस भोग से प्रसन्न होकर भगवान शिव अनिष्ट ग्रहों को शांत रखते हैं। इसका सीधा लाभ मिलता है भोग चढ़ाने वाले श्रद्धालु को, क्योंकि अनिष्ट ग्रहों के शांत रहने से श्रद्धालुओं के बिगड़े काम बन जाते हैं। साथ ही, सभी प्रकार के ऋणों से मुक्ति के द्वार खुल जाते हैं।
दिवाली पर उमड़ती है श्रद्धालुओं की भीड़
पांडवकालीन ऋणमुक्तेश्वर मंदिर अपनी विशेषताओं के चलते देशभर में अपनी एक अलग पहचान रखता है। धार्मिक मान्यता है कि, कार्तिक अमावस्या पर दीपावली के दिन यहां परंपरागत तौर पर चने की दाल चढ़ाने प्रदेश ही नहीं बल्कि देश के कोने कोने से श्रद्धालु आते हैं। मान्यता के अनुसार, श्रद्धालु मंदिर प्रांगण में पहुंचकर सबसे पहले नर्मदा नदी में स्नान करता है। इसके बाद ऋणमुक्तेश्वर मंदिर में भगवान शिव को चने की दाल का भोग लगाकर हर प्रकार के कर्ज से मुक्ति की प्रार्थना करता है। मंदिर में मौजूद एक श्रद्धालू ने बताया कि, वो और उनका परिवार हर साल यहां चने की दाल चढ़ाने आता है। जब से उन्होंने यहां आन शुरु किया है तभी से उन्हें व्यापार में लाभ तो होता ही आ रहा है, साथ ही पारिवारिक रिश्ते भी मजबूत बने हुए हैं।