समूह में गठन
बाल पंचायत सदस्यों को आगे विषयगत कार्य समूहों में गठित किया जाएगा। हर कार्य समूह को विभिन्न पोर्टफोलियों में से एक सौंपा जाएगा। इनमें स्वास्थ्य, भोजन व पोषण, शिक्षा एवं कौशल विकास, जल व स्वच्छता, बाल संरक्षण, सामाजिक न्याय और खेल व सांस्कृतिक गतिविधियां शामिल हैं। ग्राम पंचायत को यह सुनिश्चित करना होगा कि बाल पंचायत अध्यक्ष और उपाध्यक्ष को महिला सभा और ग्राम सभा में आमंत्रित किया जाए। यहां पर प्रत्येक समूह में किशोर व किशोरियों की संया बराबर होगी। बाल पंचायत का कार्यकाल दो वर्ष का होगा। यह भी पढ़ें – Rajasthan News : मुख्यमंत्री बाल गोपाल दूध योजना का नाम बदला, आदेश जारी यह कार्य करेंगे
बाल पंचायत में शामिल युवाओं के कुछ दायित्व निर्धारित किए हैं। इसमें वह ग्र्राम पंचायत विकास योजना में बजट के साथ-साथ बाल-केंद्रित गतिविधियों को शामिल करेंगे। बाल अधिकारों के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए समय-समय पर खेल और सांस्कृतिक कार्यक्रम करवाए जाएंगे। त्रैमासिक बाल सभा की सुविधा प्रदान करेंगे। बाल सभा में लिए गए प्रस्तावों को ग्राम पंचायत और ग्राम सभा को प्रस्तुत करने का काम करेंगे।
आधी आबादी को आधी जगह
बाल पंचायत गठन के दौरान राजस्व ग्राम के सभी वार्डों का समान प्रतिनिधित्व होगा। प्रत्येक बाल समूह में लड़के और लड़कियों की संया समान होगी। अर्थात बाल समूह के कम से कम आधे सदस्य लड़कियां होंगी। पहली बैठक में, प्रत्येक बाल समूह प्रत्येक वार्ड का प्रतिनिधित्व करने वाले दो बच्चों (1 लड़का और 1 लड़की) को बाल पंचायत के सदस्यों के रूप में चुनेगा और नामांकित करेगा। जो ग्राम पंचायत स्तर पर गठित किया जाएगा। उदाहरण के लिए, यदि किसी राजस्व गांव में तीन वार्ड हैं तो बाल समूह छह बच्चों (तीन लड़के और तीन लड़कियों) को बाल पंचायत के सदस्य के रूप में नामांकित करेगा। यह भी पढ़ें – Good News : पूरे राजस्थान में 55 हजार 800 मेधावी विद्यार्थियों को बांटे गए टैबलेट बाल पंचायत गठन को लेकर दिए निर्देश
जिला परिषद
हनुमानगढ़ एसीईओ सुनील छाबड़ा ने बताया कि जिले की सभी ग्राम पंचायतों में बाल पंचायत के गठन को लेकर आदेश प्राप्त हुए हैं। इसकी पालना में सभी बीडीओ को अवगत करवा दिया गया है। बाल पंचायत का गठन कैसे करना है, इस संबंध में विस्तृत निर्देश भी सभी पंचायत समितियों के विकास अधिकारियों को भेज दी गई है।
बन सकेंगे बेहतर राजनेता
बाल पंचायतों के माध्यम से दो वर्ष तक पंच व सरपंच की भूमिका निभा कर ग्रामीण युवक व युवतियां आने वाले समय में बेहतर राजनेता के रूप में उभर सकते हैं। बाल पंचायत के अध्यक्ष, उपाध्यक्ष व अन्य सदस्य ग्राम सभाओं के साथ ही पंचायत की सभी गतिविधियों में सक्रिय रहकर भाग ले सकेंगे। इससे उन्हें पता चल सकेगा कि गांवों की सरकार के कौन-कौन से कार्य होते हैं। एक पंच व सरपंच के अधिकार क्षेत्र में क्या आता है। वह गांवों में कौन से कार्य करवा कर बेहतर विकास कर सकते हैं।