प्रदेश के सभी जनाधार कार्ड धारक पशुपालक होंगे पात्र
राजस्थान सरकार की ओर से प्रदेश के पशुपालकों के हितों को ध्यान में रखते हुए उनके पशुधन का बीमा कर पशुपालकों को पशुधन हानि होने पर सुरक्षा प्रदान किया जाएगा। इसके लिए
मुख्यमंत्री मंगला पशु बीमा योजना लागू की गई है। इस बीमा योजना के तहत लाभ लेने के लिए प्रदेश के सभी जनाधार कार्ड धारक पशुपालक पात्र होंगे।
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बीमा योजना में आवेदन की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। पशुपालकों को बीमा विभाग के एपध् सॉफ्टवेयर पर आवेदन करना होगा। मोबाइल एपध् वेबपोर्टल पर 12 जनवरी 2025 तक आवेदन किया जा सकेगा। बीमा के लिए लॉटरी द्वारा पशुपालकों का चयन किया जाएगा। प्रदेश के गोपाल क्रेडिट कार्ड धारक पशुपालक और लखपति दीदी पशुपालकों को चयन में प्राथमिकता दी जाएगी। अनुसूचित जाति और जनजाति के लिए क्रमशरू 16 और 12 प्रतिशत आरक्षण का भी प्रावधान किया गया है।
बीमा के लिए पशुओं की टैगिंग अनिवार्य
बीमा के लिए पशुओं की टैगिंग अनिवार्य है। चयनित पशुपालक के अधिकतम दो दुधारू पशु (गाय-भैंस अथवा दोनों ), 10 बकरी, 10 भेड़, 1 उष्ट्र वंश पशु का निशुल्क बीमा किया जाएगा। यह बीमा उन्हीं पशुओं का होगा जो किसी अन्य योजना के तहत बीमित नहीं हो। यह बीमा एक वर्ष के लिए किया जाएगा और पशुपालक को इसके लिए कोई प्रीमियम नहीं देना होगा। बीमा राशि का निर्धारण पशु की नस्ल, उम्र व दुग्ध उत्पादन क्षमता के आधार किया जाएगा लेकिन किसी भी स्थिति में बीमा की अधिकतम राशि 40 हजार रुपए से अधिक नहीं होगी।
पशुओं के बीमा के लिए उम्र तय
पशुओं के बीमा के लिए निर्धारित उम्र अनुसार गाय की उम्र 3 से 12 वर्ष और भैंस की 4 से 12 वर्ष होनी चाहिए। इसी प्रकार बकरी और भेड़ की उम्र 1 से 6 वर्ष जबकि ऊंट की उम्र 2 से 15 वर्ष होनी चाहिए। योजना का क्रियान्वयन ट्रस्ट मोड पर राज्य बीमा एवं प्रावधायी निधि विभाग द्वारा किया जाएगा जबकि पशुपालन विभाग नोडल विभाग होगा।
एसएमएस या अन्य माध्यम से दी जाएगी सूचना
राज्य बीमा एवं प्रावधायी निधि विभाग (साधारण बीमा) विभाग चयनित पशुपालकों के पशुओं का बीमा कराने के लिए प्रत्येक ग्राम पंचायत,राजस्व ग्राम के लिए तिथिवार कार्यक्रम निर्धारित करेगा जिसकी सूचना पशुपालकों को एसएमएस या अन्य माध्यम से दी जाएगी। यह भी पढ़ें – राजस्थान के किसानों के लिए नया अपडेट, इस डेट तक करवा लें ये काम, चूके तो होगा नुकसान बीमित पशु का टैग गुम होने पर क्या करें, जानें
मुख्यमंत्री मंगला पशु बीमा योजना में समस्त बीमा प्रक्रिया उपरान्त पशुपालक को मोबाइल पर एसएमएस के माध्यम से बीमा पॉलिसी का लिंक प्राप्त होगा। यदि बीमित पशु का टैग किसी कारणवश गुम हो जाता है तो उस स्थिति में पशुपालक को बीमा विभाग को सूचना देनी होगी। सूचना प्राप्त होने के एक दिन के भीतर बीमा विभाग पशु का री-टैगिंग करवाकर पॉलिसी एवं सॉफ्टवेयर में नए टैग की प्रविष्टि करेगा।
बीमा पॉलिसी समाप्त मानी जाएगी
पशुपालक द्वारा पशु की बिक्री, उपहार दिए जाने की स्थिति में बीमा पॉलिसी समाप्त मानी जाएगी। बीमित पशु की मृत्यु होने पर पशुपालक द्वारा शीघ्र ही इसकी सूचना बीमा विभाग को देनी होगी। बीमा प्रतिनिधि द्वारा सर्वे तथा पशु चिकित्सक द्वारा मृत पशु का पोस्टमॉर्टम परीक्षण कर समस्त प्रक्रिया को निर्धारित सॉफ्टवेयर एप में इंद्राज किया जाएगा।
21 लाख पशुओं का होगा बीमा
बीसवीं पशुगणना रिपोर्ट के अनुसार राजस्थान में कुल पशुधन 5.68 करोड़ रही है। जो वर्ष 2012 में 5.77 करोड़ था। इस प्रकार 2019 में कुल पशुओं की संख्या में 1.66 प्रतिशत की कमी देखी गई। प्रदेश में मंगला पशु बीमा योजना के तहत पहले चरण में 21 लाख पशुओं का बीमा करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। यह भी पढ़ें – अजमेर डिस्कॉम का नए साल पर तोहफा, शुरू होगी स्पॉट बिलिंग, बिजली बिल में मिलेगी भारी छूट मोबाइल से आवेदन कर सकेंगे : संयुक्त निदेशक
पशुपालन विभाग हनुमानगढ़ के संयुक्त निदेशक डॉ. हरीश चंद्र गुप्ता के अनुसार मंगला पशु बीमा योजना को लेकर विस्तृत गाइड लाइन जारी कर दी गई है। पशुपालक खुद ही ई-मित्र पर जाकर या खुद अपने मोबाइल से आवेदन कर सकेगा। इसके बाद सरकार स्तर पर चयन करके पशुओं का बीमा करवाया जाएगा।
21 दिन में मिलेगा क्लेम
बीमा विभाग की ओर से 21 कार्य दिवस के भीतर मृत बीमित पशु की दावा राशि का भुगतान सम्बन्धित पशुपालक को किया जाएगा। योजना के तहत किसी भी प्राकृतिक या आकस्मिक दुर्घटना जैसे आग लगने सड़क दुर्घटना, आकाशीय बिजली गिरने, प्राकृतिक आपदा, जहरीला घास खाने या सर्प कीडा काटने, किसी बीमारी आदि में मृत्यु होने पर बीमा क्लेम मिलेगा।