ग्वालियर। जिंदगी में सबसे खास रिश्ता है खून का, आप भी जरूरतमंद लोगों को रक्तदान करके उनकी जिंदगी का अटूट हिस्सा बना सकते हैं। पूरे देशभर में हमेशा रक्त की कमी के कारण कोई न कोई मृत्यु से लड़ रहा होता है। ऐसे में यदि आप रक्तदान करेंं तो वह किसी जीवनदान से कम नहीं होगा।
कई लोगों की जान बचा सकते हैं आप
यदि आप खुद की इच्छा से एक बार भी रक्तदान करते हैं तो जानकारों के अनुसार जाने अनजाने में आप 3 लोगों की जान बचाते हैं और वहीं यदि आप जीवन में साल में एक बार भी रक्तदान करते हैं तो भी करीब 30 बार तो आप रक्तदान कर ही सकते हैं, ऐसे में आप जाने अनजाने करीब 90 लोगों की जान बचा लेते हैं।
ऐसे लोग कर सकते हैं रक्तदान?
रक्तदान केवल वही लोग कर सकते हैं जिनकी उम्र 18-65 वर्ष के बीच हो। रक्तदान करने के लिए आपका हिमोग्लोबिन 12 प्रतिशत से अधिक होना चाहिए। रक्तदान केवल वही व्यक्ति कर सकता है जिसका वजन 50 किलो से अधिक हो और उसने पिछले तीन माह से रक्तदान न किया हो। यदि आप किसी नशीले पदार्थ का सेवन करते हैं तो आप रक्तदान नहीं कर सकते।
इन्हें होती है जरूरत
हर साल ऐसे करोड़ों लोग होते हैं जिन्हें रक्त की जरूरत होती है लेकिन उनमें से कुछ लाखों को ही रक्त मिल पाता है। सामान्यत: ऑपरेशन, एक्सिडंट कैस के अलावा सबसे ज्यादा खून की जरूरत थैलीसीमिया से पीडि़तों को होती है, क्योकिं इन्हें कुछ निश्चित अंतराल पर ही पून: खून की आवश्यकता हो जाती है।
रक्तदान के यह हैं फायदे
रक्तदान का फायदा केवल मरीजों को ही नहीं बल्कि उन सभी को है जो रक्तदान करते हैं। जानकारों के अनुसार रक्तदान करने से शरीर में मौजूद अनावश्यक आयरन शरीर से बाहर चला जाता है, जिससे ह्रदय घात का खतरा कम हो जाता है। इसके साथ ही आपकी कैलोरीज भी कम होती हैं।
रक्तदाताओं की स्थिति
मध्यप्रदेश में आंकड़ों के मुताबिक वर्ष 2006 में करीब 56 प्रतिशत रक्तदान हुआ वहीं वर्ष 2008 में यह आंकड़ा तकरीबन 68 प्रतिशत रहा। पूरे देशभर में हर साल करीब 4 करोड यूनिट खून की आवश्यकता होती है, इसमें से केवल 12 से 15 प्रतिशत यूनिट रक्त की ही पूर्ति हो पाती है। रक्तदान के प्रति आ रही जागरुकता के चलते कई जगह लोग रक्तदान समुह बनाकर भी लोगों की मदद कर रहे हैं।
रक्तदान का यह है तरीका
रक्तदान करने से पहले आपके खून की जांच होती है जिसके सही होने पर ही आप रक्तदान कर सकते हैं। उसके बाद आपके रक्त के नमूने को 5 तरह की प्रक्रिया से गुजरना पडता है। जैसे एचआईवी, हैपिटाइटिस ए, हैपिटाइटिस बी, सिफलिस आदि। इसके बाद जांच के परिणाम नकारात्मक आने पर ही इसे उपयोग में लिया जाता है। फिर रक्त को 2-6 डिग्री सेल्सिीयस में स्टोर किया जाता है। इसके बाद उसके विभिन्न तत्वों को अलग किया जाता है।
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