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ग्वालियर

पत्नी ने लगाया था बच्चों को बंधक बनाने का आरोप, कोर्ट ने पिता को ही सौंपी बच्चों की कस्टडी

कोर्ट ने कहा- पिता-दादी के पास बच्चों का रहना अवैध हिरासत नहीं…बच्चों के लिए मां का प्यार भी जरुरी…

ग्वालियरMar 23, 2022 / 06:15 pm

Shailendra Sharma

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ग्वालियर. ग्वालियर हाईकोर्ट की सिंगल बेंच ने एक बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर सुनवाई करते हुए बच्चों की कस्टडी पिता को देने का फैसला सुनाया है। दरअसल एक महिला ने अपने पति व सास पर बच्चों को बंधक बनाने का गंभीर आरोप लगाते हुए बच्चों की कस्टडी मांगी थी। महिला ने ये भी आरोप लगाया था कि पति व सास बच्चों को स्कूल नहीं भेजते हैं और फास्टफूड बनाना सिखा रहे हैं। याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने बीच का रास्ता निकाला और बच्चों की कस्टडी पिता को सौंपते हुए मां को हर बुधवार को दो घंटे तक बच्चों से मिलने की इजाजत दी।


ये है पूरा मामला
हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ की सिंगल बेंच में कुछ दिन पहले एक बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर की गई थी। जिसमें याचिकाकर्ता महिला ने अपने पति व सास पर दोनों बच्चों को बंधक बनाने के आरोप लगाए थे। उसने ये भी आरोप लगाया था कि बच्चों को स्कूल नहीं भेजा जाता है और फास्टफूड बनाना सिखाया जा रहा है। पूर्व में इस मामले पर कोर्ट ने नोटिस जारी किया था जिसके बाद पुलिस महिला की सास व बच्चों को लेकर कोर्ट में मंगलवार को पहुंची थी। जहां सास ने बताया कि कोविड की वजह से स्कूल बंद थे। इस वजह से बच्चे स्कूल नहीं जा रहे थे अब स्कूल खुल चुके हैं और उन्हें स्कूल भेजा जा रहा है। कोर्ट ने पाया कि सास-बहू का झगड़ा नहीं है बल्कि असल परेशानी पति से है। कोर्ट ने पति को भी कोर्ट में बुलाया था। दोनों पक्षों को सुनने के बाद याचिका का निराकरण कर दिया।

 

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कोर्ट ने पिता को सौंपी बच्चों की कस्टडी
याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने बीच का रास्ता निकाला। कोर्ट ने बच्चों की कस्टडी पिता को सौंपते हुए कहा कि बच्चों का पिता व दादी के पास रहना अवैध हिरासत नहीं है। इसलिए बच्चे पिता के साथ रहेंगे, हालांकि कोर्ट ने ये भी कहा कि बच्चों के लिए मां का प्यार भी जरुरी है और मां हर बुधवार को दो घंटे के लिए अपने बच्चों से मिल सकेगी। बच्चों से मिलने का समय मां खुद तय करेगी। महिला नौकरीपेशा है और इसलिए कोर्ट ने खुद ही उसे बच्चों से मिलने की सुविधा दी है। इसके साथ ही कोर्ट ने पति व सास को हिदायत दी है कि महिला को बच्चों से मिलने से न रोका जाए।

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