ग्वालियर। भगवान गणपति प्रथम पूज्य और विघ्नों के नाशक माने जाते हैं। समस्त शुभ कार्योंमें सबसे पहले उनकी वंदना की जाती है। सप्ताह के हिसाब से बुधवार का दिन श्रीगणेश का माना जाता है।
भगवान शिव की तरह ही गणेशजी भी शीघ्र प्रसन्न होते हैं। उनकी पूजन विधि बहुत आसान है। पूजन में उपयोग की जाने वाली कुछ वस्तुएं ऐसी हैं जो उन्हें चढ़ाने पर शीघ्र भाग्योदय करती हैं। गणपति को दूर्वा अत्यंत प्रिय है। पूजन में दूर्वा चढ़ाने से वे अवश्य मनोकामना पूरी करते हैं। नित्य या बुधवार को पूजन करते समय उन्हें पांच, ग्यारह या इक्कीस दूर्वा चढ़ाएं।
गणपति को प्रसन्न करने के उपाय
पंडित सुनील शर्मा के अनुसार दूर्वा उनके मस्तक पर अर्पित करें। इसके अलावा वे मोदक से भी प्रसन्न होते हैं। उन्हें मोदक का भोग लगाने का विधान है। गणेशजी को मोदक प्रिय होने की कई कथाएं प्रचलित हैं। पूजन के बाद भोग में मोदक चढ़ाने से वे अपने भक्त की मनोकामना पूर्ण करते हैं। हनुमानजी की तरह गणेशजी भी सिंदूर को पसंद करते हैं। सिंदूर ऊर्जा का प्रतीक है और गणपति भी ऊर्जा, बुद्धि व सिद्धि के दाता हैं। उन्हें सिंदूर चढ़ाने के बाद स्वयं भी उससे तिलक करें। इससे व्यक्ति के कष्ट दूर होते हैं और भाग्य का उदय होता है।
भगवान गणेशजी की कृपा प्राप्त करने के लिए उन्हें चावल भी अर्पित किया जाता है। चावल साफ, बिना टूटे हुए और पवित्र होने चाहिए। सिंदूर मिले हुए चावल भी उन्हें प्रिय हैं। कहा जाता है कि इससे व्यक्ति अकाल मृत्यु, रोग और अपयश से बचता है। साथ ही उसके जीवन में सफलता आती है।
इसके अलावा गणेश पूजा के दौरान गणेशजी की प्रतिमा पर चंदन मिश्रण, केसरिया मिश्रण, इत्र, हल्दी, कुमकुम, अबीर, गुलाल, फूलों की माला खासकर गेंदे के फूलों की माला और बेल पत्र को चढ़ाएं। इसके अलावा धूपबत्ती जलाएं और नारियल, फल सहित तांबूल का अर्पण करें। पूजा के अंत में भक्त भगवान गणेश, देवी लक्ष्मी और विष्णु भगवान की आरती करें। प्रसाद की बारी आए तो सभी लोगों में बांट कर स्वयं भी ग्रहण करें।
इस बात का रखें खास ध्यान
सामान्यत: पूजन व धार्मिक संस्कारों में तुलसी पत्र चढ़ाने का विधान होता है। पूजन के दौरान भगवान का भोग तब तक संपूर्ण नहीं माना जाता, जब तक कि उन्हें तुलसी पत्र न चढ़ाया जाए। तुलसी दरिद्रता, रोग और पाप नष्ट करती है, लेकिन भगवान गणेश के पूजन में तुलसी का उपयोग नहीं किया जाता। इसके लिए एक पौराणिक कथा भी प्रचलित है।
कहा जाता है कि एक बार तुलसी ने गणेशजी को दो विवाह होने का शाप दिया था। इस पर गणेशजी ने भी उन्हें शाप दिया था कि तुम्हारी संतान असुर होगी। बाद में तुलसी ने गणेशजी से क्षमा मांगी, तो उन्होंने यह वरदान दिया कि कलियुग में तुम पवित्र पौधे के रूप में पूजी जाओगी। तुम्हारी उपस्थिति के बिना पूजन संपूर्ण नहीं होगा, लेकिन मेरे पूजन में तुलसी पत्र का उपयोग नहीं किया जाएगा। इस प्रकार गणेशजी के पूजन में तुलसी का उपयोग वर्जित माना गया है।
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सभी परेशानियों से मुक्ति देते हैं श्री गणेश
यह तो सब जानते ही हैं कि गणपति का नाम लेने से ही शुभ लक्षण प्रकृट होने लगते हैं, लेकिन उनकी पूजा से व्यक्ति को बुद्धि, विद्या, विवेक रोग, व्याधि एवं समस्त विध्न-बाधाओं का स्वत: नाश होता है। श्री गणेशजी की कृपा प्राप्त होने से व्यक्ति के मुश्किल से मुश्किल कार्य भी आसान हो जाते हैं।
ज्योतिषियों का मत है कि जिन लोगो को व्यवसाय-नौकरी में विपरीत परिणाम प्राप्त हो रहे हों, पारिवारिक तनाव, आर्थिक तंगी, रोगों से पीड़ा हो रही हो और व्यक्ति को अथक मेहनत करने के उपरांत भी नाकामयाबी, दु:ख, निराशा प्राप्त हो रही हो, तो ऐसे व्यक्तियो की समस्या के निवारण के लिए बुधवार के दिन श्री गणेशजी की विशेष पूजा-अर्चना करने का विधान है।
अपनाएं यह सरल उपाय
1. विवाह कराने के लिए: ‘ऊँ ग्लौम गणपतयै नम:’ की 11 माला और गणेश स्तोत्र का पाठ नित्य करें। भगवान गणेश को मोदक से भोग लगाएं।
2. भूमि प्राप्ति के लिए उपाय : संकटनाशन गणेश स्तोत्र एवं ऋणमोचन मंगल स्तोत्र के 11 पाठ करें।
3. भवन प्राप्ति के लिए : श्रीगणेश पंचरत्न स्तोत्र व भुवनेश्वरी चालीसा या भुवनेश्वरी स्तोत्र का पाठ करें।
4. संपत्ति प्राप्ति के लिए : श्री गणेश चालीसा, कनकधारा स्तोत्र तथा लक्ष्मी सूक्त का पाठ करें।
5. धन-समृद्घि के लिए : धनदाता गणेश स्तोत्र का पाठ तथा कुबेर यंत्र के पाठ के साथ ‘ऊँ श्रीं ऊँ ह्रीं श्रीं ह्रीं क्लीं श्रीं क्लीं वित्तेश्वराय नम:’ मंत्र की 11 माला नित्य करें।
इसके अलावा दस नामों का यह आसान मंत्र हर रोज प्रयोग करने से श्री गणेश रहते हैं प्रसन्न
1. गणाधिपतये नम:।
2. विघ्ननाशाय नम:।
3. ईशपुत्राय नम:।
4. सर्वासिद्धिप्रदाय नम:।
5. एकदंताय नम:।
6. कुमार गुरवे नम:।
7. मूषक वाहनाय नम:।
8. उमा पुत्राय नम:।
9. विनायकाय नम:।
10. ईशवक्त्राय नम:।
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