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ग्वालियर

50 डिग्री तापमान में चलाते हैं ट्रेन, कम नहीं हैं इनका संघर्ष

कई-कई घंटों तक आउटर में खड़ी होती हैं मालगाड़ी, पानी की भी नहीं होती व्यवस्था

ग्वालियरJun 11, 2022 / 05:18 pm

Manish Gite

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नीरज चतुर्वेदी

ग्वालियर। भीषण गर्मी में जब तापमान 47 से 48 डिग्री पार कर गया है और ट्रेनों में बैठे यात्रियों का यात्रा के दौरान एसी में भी बुरा हाल हो रहा है। तब ट्रेन को चला रहे ड्राइवर विषम परिस्थितियों से जूझ रहे हैं। ट्रेन में ड्राइवर के केबिन का तापमान बाहरी तापमान से लगभग 5 डिग्री तक ज्यादा होता है। ऐसी स्थिति में हमारे यहां से निकलने वाली ट्रेनों का तापमान लगभग 52 डिग्री को पार कर जाता है।

 

हजारों यात्रियों के सफर की चिंता करने वाले ड्राइवरों की चिंता कोई नहीं कर रहा है। उसमें भी मालगाड़ी के ड्राइवरों का तो काफी बुरा हाल है। देश में बुलेट ट्रेन से लेकर वंदे भारत ट्रेनें चलाने की चर्चा की जा रही है। वहीं हमारे यहां से निकलने वाली ट्रेनों के ड्राइवर केबिन में एसी तो दूर पंखे भी गर्म हवा फेंक रहे हैं। ऐसी पड़ रही भीषण और उमस भरी गर्मी में ये ड्राइवर 24 घंटे अपनी ड्यूटी बखूबी निभा रहे हैं। यह काबिले तारीफ है।

 

मजबूरी में ऐसी ड्यूटी करना पड़ती है

पत्रिका रिपोर्टर ने रेलवे स्टेशन पर एक घंटे तक तपती दोपहर में खड़े होकर मालगाड़ी का इंतजार किया तो दोपहर में आउटर पर एक मालगाड़ी आकर खड़ी हुई। इस मालगाड़ी का इंजन झांसी एंड की ओर आरआरआइ के पास आकर रुका। इस इंजन में दो ड्राइवर थे। उन्होंने अपनी बोतल से पानी निकालकर मुंह से लेकर बाल तक गीले कर लिए और हाथ पैर धोकर फिर साफी बांधकर आगे का सफर तय करने के लिए तैयार हो गए। दोनों ही ड्राइवर और सहायक ड्राइवर ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि मजबूरी में ऐसी ड्यूटी करना पड़ती है।

 

 

यह तक नहीं है सुविधा

● इंजन में शौचालय तक की व्यवस्था नहीं है।
● मालगाड़ी घंटों आउटर पर खड़ी रहती है। कोई भी पानी तक पिलाने वाला नहीं होता है।
● कई छोटे स्टेशनों पर तो ड्राइवरों को पानी तक नहीं मिल पाता है।

दिन में ज्यादा तपता है इंजन

दिन में इंजन के अंदर से भट्टी जैसी तपन आती है। इंजन का हर हिस्सा जलता रहता है। ऐसे में अगर इसे पकड़ लो तो हाल बेहाल हो जाता है। इन स्थिति में ड्राइवर ट्रेनें चलाते हैं। आखिर यह भी तो इंसान है।

झांसी मंडल द्वारा मेंटेनेंस किए जा रहे दो इंजनों में और 37 मालगाड़ी के इंजनों में एसी फिट किए जा चुके हैं।

-मनोज कुमार सिंह, पीआरओ झांसी मंडल

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