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Tansen Samaroh 2018 : तानसेन संगीत समारोह से जुड़े है ये रोचक किस्से,आपको आज तक नहीं होगा पता

Tansen Samaroh 2018 : तानसेन संगीत समारोह से जुड़े है ये रोचक किस्से,आपको आज तक नहीं होगा पता

ग्वालियरDec 24, 2018 / 07:29 pm

monu sahu

Tansen Samaroh 2018

Tansen Samaroh 2018 : तानसेन संगीत समारोह से जुड़े है ये रोचक किस्से,आपको आज तक नहीं होगा पता

ग्वालियर। ग्वालियर की धरती पर सोमवार से महान संगीत रत्न तानसेन को स्वरांजलि अर्पित करते हुए कार्यक्रम शुरू हो चुका है। तानसेन के आंगन में यह समारोह संगीत का महाउत्सव है,जहां सुर, लय, ताल, राग-रागनियों का संगम दशकों से दिखता आ रहा है। यह संगीत पीढिय़ों से शहरवासियों के रग-रग में बसा है, जिसकी अमिट छाप शहर की गलियों में और तानसेन के जन्म स्थान झिलमिल नदी के किनारे बेहट में नजर आती है। ऐसे चमत्कृत वातावरण के प्रतिनिधि तानसेन हैं, तो बैजू बावरा उसके सहयात्री। पीढ़ी दर पीढ़ी न जाने कितने ही विश्व विख्यात साधक इस परम्परा को अपने सुरों से पोषित कर रहे हैं।
तानसेन की देन हैं ये राग
तानसेन द्वारा अविष्मरणीय रागों का उल्लेख बहुत से शास्त्रकारों एवं इतिहासकारों ने अपने ग्रंथ में किया है। इसमें तानसेन द्वारा अविष्कृत 6 राग मिलते हैं।

ये वाद्य सुर सम्राट की देन
रुद्रवीणा, रबाब

सुरों का साहित्य भी
तानसेन से संगीत शास्त्र पर आधारित 3 ग्रंथों की रचना की थी, जिनका उल्लेख मिश्र बंधुओं द्वारा लिखित बंधु विनोद में पाया जाता है।
ग्रंथ संगीतसार रागमाला संगीतश्रोत

बाबा कपूर की दरगाह से उठती थी चादर
तानसेन की समाधि पर सिंधिया सरकार की ओर से चादर चढ़ाई जाती थी। यह चादर बाबा कपूर की दरगाह से गाजे-बाजे के साथ लाई जाती थी। जुलूस में तवायफों का जुलूस भी रहता था।
शुरू से आते रहे विदेशी श्रोता
तानसेन समारोह में देश भर से श्रोताओं के अलावा विदेशी श्रोता भी आते रहे हैं। जयाजी प्रताप के 19 जनवरी 1928 के अंक में इसका जिक्र है। जयाजीप्रताप में तानसेन समारोह पर छपी खबर में कहा गया है कि इस समारोह में जब पं.कृष्णराव पंडित का गायन हो रहा था तब यहां इतनी भीड हो गई थी कि व्यवस्थाएं करना मुश्किल हो गया था। इस समारोह यूरोप से भी कुछ श्रोता आए थे।
पहले थी इनाम की परंपरा
तानसेन समारोह में हर साल सरकार द्वारा किसी एक कलाकार को उसकी साधना के लिए राष्ट्रीय तानसेन सम्मान से अलंकृत किया जाता है। तानसेन समारोह के शुरुआती दिनों में भी यहां आने वाले कलाकारों को इनाम दिया जाता था। 7 जनवरी 1926 के जयाजी प्रताप के अंक में रायबहादुर भैया बालमुकुंद स चेयरमेन इम्प्रूवमेंट ट्रस्ट और एक अन्य व्यक्ति द्वारा तानसेन समारोह के लिए दो पुरस्कार देने की घोषणा की गई थी। 14 जनवरी 1926 के जयाजी प्रताप के अंक में इसका जिक्र है। इसमें कहा गया कि आलीजाह दरबार प्रेस के मैनेजर यशवंतराव मानगांवकर ने इस समारोह के लिए एक इनाम देने की घोषणा की थी।
Tansen Samaroh 2018
इन साधकों को मिल चुका तानसेन अलंकरण
वर्ष : कलाकार
2000 : उस्ताद अब्दुल हलीम जाफर खां
2001 : उस्ताद अमजद अली खां
2002 : नियाज अहमद खां
2003 : पंडित दिनकर कायकिणी
2004 : पंडित शिव कुमार शर्मा

2005 : मालिनी राजुरकर
2006 : सुलोचना बृहस्पति
2007 : आचार्य पंडित गोस्वामी और गोकलोत्सव महाराज
2008 : उस्ताद गुलाम मुस्तफा खां
2009 : पंडित अजय पोहनकर
2010 : सविता देवी


2011 : पंडित राजन-साजन मिश्र
2012 : प्रभाकर कारेकर
2013 : पंडित विश्वमोहन भट्ट
2014 : पंडित अजय चक्रवर्ती
2015 : पं. लक्ष्मण कृष्णराव पंडित
2016 : पंडित डालचन्द्र शर्मा
2017 : पंडित उल्हास कशालकर
2018 : मंजू मेहता
(25 दिसंबर को तानसेन अलंकरण मिलेगा)

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