कहते हैं कि, बालक तानसेन की इस भक्ति से भगवान शिव इतने प्रसन्न हुए कि उन्हें साक्षात दर्शन देते हुए उनसे संगीत सुनने की इच्छा प्रकट की। शिवजी के कहने पर तानसेन ने ऐसी तान छेड़ी कि शिव मंदिर ही टेढ़ा हो गया।
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ग्वालियर से सीखा संगीत का ककहरा, वृंदावन से ली थी उच्च शिक्षा
ग्वालियर से संगीत का ककहरा सीखने के बाद तानसेन ने वंदावन में संगीत की उच्च शिक्षा ली। इसके बाद शेरशाह सूरी के पुत्र दौलत खां और फिर बांधवगढ़ (रीवा) के राजा रामचंद्र के दरबार के मुख्य गायक रहे। यहां से सम्राट अकबर ने उन्हें आगरा बुलाकर अपने नवरत्नों में शामिल कर लिया था।
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मोहम्मद गौस के वरदान से जन्मे तानसेन
इतिहासकारों के अनुसार तानसेन का जन्म ग्वालियर के तत्कालीन प्रसिद्ध फकीर हजरत मौहम्मद गौस के वरदान स्वरूप हुआ। संगीत सम्राट तानसेन बेहट के किले की गढ़ी के पास रहने वाले बघेल परिवार के यहां रहते थे। उनकी मृत्यु 1589 में हुई थी।
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