कृषि विज्ञान केन्द्र ने जैव विविधता परियोजना के तहत पारंपरिक फसल उत्पादन का निर्णय लिया है। इसके लिए ग्राम सजेली मालजी सात में आशा जैव विविधता समूह का गठन किया। इस समूह से 24 महिलाएं जुड़ी हैं। महिलाओं ने न केवल पारंपरिक फसल का उत्पादन शुरू किया, बल्कि एक सीड बैंक भी तैयार कर लिया। उत्पादन के बाद इसकी मार्केङ्क्षटग भी जरूरी थी। क्योंकि उसके बिना आगे नहीं बढ़ा जा सकता था। लिहाजा झाबुआ किसान उत्पादक कम्पनी लिमिटेड का गठन किया। इस कंपनी से 310 महिलाएं जुड़ी है। अब यह कम्पनी उत्पाद की इंटरनेशनल पैकेङ्क्षजग के साथ साथ मार्केङ्क्षटग भी कर रही है। कंपनी को फिलहाल 35 टन तुअर दाल का ऑर्डर मिला है। इसके लिए कृषि विज्ञान केंद्र ने बकायदा एक दाल मिल भी स्थापित कर दी है। ताकि पर्याप्त मात्रा में उत्पादन कर समय पर सप्लाय किया जा सके।
आशा जैव विविधता समूह द्वारा जिन पारंपरिक फसलों का उत्पादन किया जा रहा है। इनमें लाल तुअर दाल, दूध मोगर मक्का, साठी मक्का, तेलिया उड़द, भूरा उडद के साथ मशरूम भी शामिल है।
झाबुआ महोत्सव में करेंगे लांङ्क्षचग
&झाबुआ की महिलाओं ने आत्म निर्भर भारत का निर्माण करने की दिशा में अहम कदम बढ़ाया है। जनवरी में झाबुआ महोत्सव के दौरान प्रोडक्ट की लांङ्क्षचग होगी।
डॉ चंदन कुमार, वैज्ञानिक, कृषि विज्ञान केंद्र, झाबुआ
&हमारी कम्पनी झाबुआ किसान उत्पादक को अभी 35 टन प्राकृतिक रूप से तैयार तुअर दाल का ऑर्डर मिला है। जल्द ही इसकी आपूर्ति की जाएगी।
प्रियरंजन, सीईओ, झाबुआ किसान उत्पादक कम्पनी