सरकार ने साल की शुरुआत में प्रदेश में साइबर तहसील की व्यवस्था शुरू की है। नामांतरण के नाम पर जो भ्रष्टाचार होता था, नई व्यवस्था से उस पर लगाम लगेगी। साथ ही तहसीलदारों का भी बोझ कम हो गया है। अभी तक साइबर तहसील में उन्हीं जमीनों के नामांतरण हो रहे थे, जिसमें पूरा रकबा बिका है। गांव में पूरा खेत बिकने पर ही साइबर तहसील में नामांतरण होता था। इस कारण साइबर तहसील पर नामांतरण की संख्या काफी कम थी, लेकिन शहर के नामांतरण होने पर संख्या बढ़ गई।
पंजीयन विभाग का सॉफ्टवेयर राजस्व से लिंक है। रजिस्ट्री होने के बाद फाइल साइबर तहसील पर पहुंच जाएगी। यदि व्यक्ति 500 फुट का भी प्लॉट खरीदता है तो उसका नामांतरण हो जाएगा। उसे तहसील में आवेदन के लिए नहीं जाना पड़ेगा।
■ पटवारी को पूरा काम ऑन लाइन करना होगा। नामांतरण का प्रकरण दर्ज होने के बाद 15 दिन के भीतर पटवारी को ऑन लाइन अपनी रिपोर्ट अपलोड करनी होगी। यदि रिपोर्ट अपलोड नहीं होती है तो वरिष्ठ अधिकारियों की नजर में मामला आ जाएगा। पटवारी की रिपोर्ट के बाद सिर्फ तहसीलदार को एक क्लिक करना होता है। व्यक्ति का नामांतरण होने के बाद खसरे में दर्ज हो जाएगा।
■ ऑफ लाइन सिर्फ वही नामांतरण हो सकेंगे, जिनमें किसी ने आपत्ति कर दी। या कोई विवाद है। उसकी सुनवाई के लिए मामला तहसीलदार के पास जाएगा। ■ यदि पटवारी निगेटिव रिपोर्ट लगाते हैं तो उसकी टीप दर्ज करनी होगी। यदि आपत्ति का कोई दस्तावेज है तो उसे पोर्टल पर अपलोड करना होगा।
■ साइबर तहसील के नामांतरण में पटवारी की रिपोर्ट अहम है। इसके आधार पर ही नामांतरण व खसरे में नाम दर्ज होगा।
271 आवेदन लंबित, 60 की रिपोर्ट नहीं आई
■ जिले की 15 तहसीलों में साइबर तहसील के तहत 271 आवेदन नामांतरण के लिए लंबित है। 60 आवेदन में पटवारी की रिपोर्ट नहीं आई है। 128 मामलों में आपत्ति व कोर्ट केस होने की वजह से तहसीलदारों के यहां भेजे गए हैं। ■ गिरवाई तहसील में 70 आवेदन आए, जिसमें 69 आवेदनों पर फैसला हो गया। 1 आवेदन लंबित चल रहा है। ■ सिटी सेंटर पर 27 आवेदन आए, जिसमें 26 पर फैसला हो गया। एक आवेदन लंबित चल रहा है।
साइबर तहसील-2 से होंगे नामांतरण
साइबर तहसील-1 में पूरा सर्वे नंबर बिकने पर ही नामांतरण हो रहा था, लेकिन साइबर तहसील-2 के तहत जमीन का छोटा टुकड़ा बेचने पर नामांतरण होने लगे हैं।