यह खबर भी पढ़ें : शादी कर सुरक्षा मांगने एसपी के पास आया यह प्रेमी जोड़ा,मां ने बेटी के सामने पति को चप्पलों से पीटा,देखें वीडियो क्यों आई गिरावट
ग्लोबल बाजारों से सुस्त संकेतों और देश की जीडीपी आंकड़ों में गिरावट के चलते पूरे वर्ष स्टॉक मार्केट में उतार-चढ़ाव का दौर जारी रहा। वित्त वर्ष 2016-17 में भारत की आर्थिक विकास दर घटकर 7.1 फीसदी पर आ गई थी जिसमें वित्त वर्ष २०१७-१८ में मामूली सुधार हुआ है। नोटबंदी का असर वृद्धि दर के आंकड़ों पर पड़ा है हालांकि, कृषि सेक्टर के आंकड़े अच्छे रहे।
यह खबर भी पढ़ें : सूने मकान में इस हाल में मिला यह प्रेमी जोड़ा,देखने पहुंची भीड़ को देख पुलिस से कही ऐसी बात ये सेक्टर पिटे
नोटबंदी के बाद फॉर्मा सेक्टर, पब्लिक सेक्टर बैंक, रियल एस्टेट, टेलीकॉम सेक्टर बुरी तरह पिटे। लेकिन सरकार ने बैंकों के एनपीए घटाने के लिए २२ हजार करोड़ राशि की घोषणा के बाद उनमें कुछ दम आया। रुपया कमजोर होने और डॉलर का दाम बढऩे से सोने व चांदी में भी गिरावट देखी गई। सोना ३२ हजार से २६ हजार प्रति दस ग्राम तक पहुंचा।
यह खबर भी पढ़ें : प्रेमिका को माता-पिता से मिलने BF ने घर बुलाया, फिर किया दुष्कर्म और कर दिया ये हाल पिछले एक साल में बाजार में रही उथल-पुथल
जीडीपी के आंकड़ों में विकास दर गिरने के चलते निवेशकों ने कम खरीदारी की, वहीं निफ्टी बार-बार गिरकर संभला। वर्ष में करीब २२ बार निफ्टी मनोवैज्ञानिक स्तर से भी नीचे चला गया, वहीं सेंसेक्स ने भी कई उतार-चढ़ाव देखे। जिससे निवेशकों के मन में डर पनपा। और उन्होंने अपने निवेश को शेयर मार्केट से हटाकर दूसरी सुरक्षित जगहों पर लगाया।
यह खबर भी पढ़ें : गजब है एमपी : इस जिले में मात्र एक ही दिन सुबह मिलता है पानी,बाकि 29 दिन रहता है ऐसा हाल बाजार की धारणा प्रभावित
कारोबारियों का कहना है कि भारत सहित अन्य उदीयमान बाजारों से विदेशी पूंजी निकालने और डॉलर के 13 साल के उच्च स्तर पर पहुंचने से भी बाजार धारणा प्रभावित हुई। नोटबंदी के कदम के किराना व परचून की दुकानों, ढाबों व अन्य छोटे कारोबारों पर असर को लेकर चिंता जताई जा रही है जो कि मुख्य रूप से नकदी के कारोबार में चलते हैं।
हरीश गंगवानी, इन्वेस्टर, शेयर मार्केट