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नोटबंदी का एक साल पूरा, रोकी सोने की चाल तो सेंसेक्स-निफ्टी ने बनाए रिकॉर्ड,अब यह है स्थिति

नोटबंदी के कारण शेयर मार्केट के सभी सेक्टरों में पूरे वर्ष उतार-चढ़ाव का दौर रहा।

ग्वालियरNov 08, 2017 / 11:30 am

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देवेंद्र शर्मा @ ग्वालियर। नोटबंदी के कारण शेयर मार्केट के सभी सेक्टरों में पूरे वर्ष उतार-चढ़ाव का दौर रहा। कभी ग्लोबल संकेत तो कभी जीडीपी के आंकड़ों में विकास दर गिरने का डर निवेशकों को सताता रहा। वहीं रियल स्टेट, फार्मा, ऑयल गैस जैसे सेक्टर भी फ्लॉप रहे। फिर भी इन दुविधाओं के बीच सेंसेक्स और निफ्टी ने कई रिकॉर्ड बनाए। जिससे वो निवेशकों का विश्वास जीतने में कुछ हद तक कामयाब रहा।

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क्यों आई गिरावट
ग्लोबल बाजारों से सुस्त संकेतों और देश की जीडीपी आंकड़ों में गिरावट के चलते पूरे वर्ष स्टॉक मार्केट में उतार-चढ़ाव का दौर जारी रहा। वित्त वर्ष 2016-17 में भारत की आर्थिक विकास दर घटकर 7.1 फीसदी पर आ गई थी जिसमें वित्त वर्ष २०१७-१८ में मामूली सुधार हुआ है। नोटबंदी का असर वृद्धि दर के आंकड़ों पर पड़ा है हालांकि, कृषि सेक्टर के आंकड़े अच्छे रहे।

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ये सेक्टर पिटे
नोटबंदी के बाद फॉर्मा सेक्टर, पब्लिक सेक्टर बैंक, रियल एस्टेट, टेलीकॉम सेक्टर बुरी तरह पिटे। लेकिन सरकार ने बैंकों के एनपीए घटाने के लिए २२ हजार करोड़ राशि की घोषणा के बाद उनमें कुछ दम आया। रुपया कमजोर होने और डॉलर का दाम बढऩे से सोने व चांदी में भी गिरावट देखी गई। सोना ३२ हजार से २६ हजार प्रति दस ग्राम तक पहुंचा।

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पिछले एक साल में बाजार में रही उथल-पुथल
जीडीपी के आंकड़ों में विकास दर गिरने के चलते निवेशकों ने कम खरीदारी की, वहीं निफ्टी बार-बार गिरकर संभला। वर्ष में करीब २२ बार निफ्टी मनोवैज्ञानिक स्तर से भी नीचे चला गया, वहीं सेंसेक्स ने भी कई उतार-चढ़ाव देखे। जिससे निवेशकों के मन में डर पनपा। और उन्होंने अपने निवेश को शेयर मार्केट से हटाकर दूसरी सुरक्षित जगहों पर लगाया।

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बाजार की धारणा प्रभावित
कारोबारियों का कहना है कि भारत सहित अन्य उदीयमान बाजारों से विदेशी पूंजी निकालने और डॉलर के 13 साल के उच्च स्तर पर पहुंचने से भी बाजार धारणा प्रभावित हुई। नोटबंदी के कदम के किराना व परचून की दुकानों, ढाबों व अन्य छोटे कारोबारों पर असर को लेकर चिंता जताई जा रही है जो कि मुख्य रूप से नकदी के कारोबार में चलते हैं।
“नोटबंदी का फैसला रियल एस्टेट और टेलीकॉम सेक्टर के लिए बहुत ही बुरा रहा। इससे सोने के दाम गिरे। लोगों ने जमकर सोना खरीदा। हालांकि भविष्य में अब इसके दाम बढऩे की आशा बहुत कम है।”
हरीश गंगवानी, इन्वेस्टर, शेयर मार्केट

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