विशेष सत्र न्यायालय मुरैना ने जांच अधिकारी की इस चालाकी को पकड़ लिया और सहायक प्रबंधक रणवीर सिंह राजपूत की खात्मा रिपोर्ट को अस्वीकार करते हुए चालान लौटा दिया। अब सहायक प्रबंधक व बाबू के खिलाफ चालान को जांच अधिकारी ने फिर से दबा लिया है। जांच अधिकारी पर गंभीर आरोप लगाते हुए फरियादी लोकेन्द्र सिंह ने लोकायुक्त व लोकायुक्त डीजी को शिकायत की है। सहायक प्रबंधक को बचाने के साथ-साथ चालान में लगातार देर करने का आरोप लगाया है। सहायक प्रबंधक व बाबू के खिलाफ चालान की मांग की है।
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- जब न्यायालय में चालान पेश किया तो रणवीर राजपूत के खिलाफ चालान पेश नहीं किया। उसे क्लीन चिट दी गई। मनोज कुमार भदकारिया मुरैना जिले में पदस्थ थे, लेकिन अभियोजन स्वीकृति ग्वालियर से ली गई। अभियोजन स्वीकृति में बड़ी चूक की।
- रिश्वत की वार्ता में सहायक प्रबंधक सीधे शामिल थे। बाबू मनोज कुमार भदकारिया को 18 हजार रुपए की रिश्वत लेते हुए पकड़ा था। जबकि सहायक प्रबंधक मौके से भाग गए।
- जब कोर्ट ने चालान का अध्ययन किया, रिश्वत की ट्रांसक्रिप्ट की, उसमें रिश्वत के लिए सहायक प्रबंधक से भी बातचीत सामने आई। एक आरोपी को क्लीन चिट देने से केस को संदिग्ध किया गया।
चालान में देर का असर
अगर कोई अधिकारी या कर्मचारी रिश्वत लेते हुए पकड़ाता है तो वो तब तक निलंबित नहीं होता है, जब तक उसका चालान न्यायालय में पेश नहीं हो जाता है। 18 हजार रुपए की रिश्वत के मामले की जांच को पांच साल हो गए। सहायक प्रबंधक भिंड में पदस्थ हैं।
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लोकेंद्र सिंह अपने मामा के साथ मिलकर मुरैना जिले में मुर्गी फार्म संचालित करते थे। उनके मुर्गी फार्म पर बिजली कंपनी ने चोरी का प्रकरण दर्ज कर लिया। चोरी का पंचनामा खत्म करने के लिए तत्कालीन सहायक प्रबंधक रणवीर सिंह राजपूत से मिले। उन्होंने चोरी का पंचनामा खत्म करने के लिए 20 हजार की रिश्वत मांगी और बाबू भदकारिया के पास भेज दिया। लोकेंद्र ने लोकायुक्त पुलिस कार्यालय मोती महल में इसकी शिकायत की। रिश्वत की वार्ता रिकॉर्ड हो गई। बाबू को 18 हजार रुपए की रिश्वत के साथ पकड़ लिया गया। तीन साल की जांच के बाद जांच अधिकारी ने चालान पेश किया। शुरुआत में इस केस की जांच राघवेंद्र ऋषिश्वर ने की, अब जांच अंजली शर्मा के पास है।
प्रकरण हाईकोर्ट में लंबित
लोकायुक्त टीमें की जांच अधिकारी अंजली शर्मा का कहना है कि प्रकरण हाईकोर्ट में लंबित है। केस की जांच मिले मुझे ज्यादा दिन नहीं हुए हैं। न्यायालय से जिन कमियों के आधार पर चालान वापस आया था, उन्हें दूर किया जा रहा है। फरियादी के आरोपों से हमें वास्ता नहीं है।