1984 का लोकसभा चुनाव कई मायनों में अहम था। गुना-शिवपुरी संसदीय सीट से चुनाव लड़ने वाले माधव राव सिंधिया को कांग्रेस ने 1984 में ग्वालियर संसदीय सीट से चुनाव मैदान में उतारा था। जबकि अटल बिहारी वाजपेयी इस सीट के लिए पहले ही अपना नामांकन दाखिल कर चुके थे। माधवराव सिंधिया के प्रचार के लिए ज्योतिरादित्य सिंधिया ने भी जनसभाएं की थीं। ज्योतिरादित्य सिंधिया ने 1984 में अपनी मां माधवी राजे सिंधिया के साथ अपने पिता के लिए प्रचार किया था। तब ज्योतिरादित्य सिंधिया की उम्र मात्र 14 साल की थी।
माधवराव से हार गए थे अटल बिहारी वाजपेयी
1984 के लोकसभा चुनाव के जब परिणाम आये तो अटल बिहारी वाजपेयी माधवराव सिंधिया से करीब पौने दो लाख वोटों से अपना चुनाव हार गए थे। ऐसा कहा जा ता है कि गुना-शिवपुरी से चुनाव लड़ने वाले माधवराव सिंधिया ने 1984 में राजीव गांधी के कहने पर अपनी सीट बदल दी थी और गुना छोड़कर ग्वालियर आ गए थे। जब भाजपा को पता चला की माधवराव सिंधिया ग्वालियर से चुनाव लड़ने वाले हैं तो भाजपा ने अटल बिहारी वाजपेयी को राजस्थान की कोटा या किसी अन्य सीट पर चुनाव लड़ने को कहा गया था, लेकिन अटल बिहारी वाजपेयी ने कहा था अब तो मैं सिर्फ़ ग्वालियर से ही चुनाव लड़ूंगा। अगर मैं कोटा से चुनाव लड़ा तो माधवराव सिंधिया के खिलाफ राजमाता ग्वालियर से चुनाव लड़ेगी और मैं नहीं चाहता कि किसी भी कीमत पर मां-बेटे का मनमुटाव सड़क पर आए।
2005 में जब अटल बिहारी ग्वालियर आए थे तब उनसे ग्वालियर लोकसभा चुनाव में हार के बारे में पूछा गया था। इस हार पर उन्होंने साहित्य सभा को संबोधित करते हुए कहा था कि ग्वालियर में मेरी एक हार पर इतिहास छिपा हुआ है।