उधर चिकित्सकों का कहना है एचएमपीवी करीब 50 साल पुराना वायरस है। कोरोना की तरह तेजी से फैलता है लेकिन हालांकि उतना घातक नहीं है। कोरोना और इसमें यह अंतर है कि कोरोना में बच्चे ज्यादा प्रभावित नहीं हुए थे, लेकिन एचएमपीवी बच्चों और बुजुर्गों के लिए ही ज्यादा घातक है। फिर भी इससे घबराने की जरूरत नहीं है। सिर्फ बचाव और सतर्कता जरूरी है।
बच्चों को जल्द चपेट में लेता है, सावधानी बरतें
छाती रोग विशेषज्ञ डॉ. उज्ज्वल शर्मा कहते हैं, एचएमपीवी संक्रमित मरीज को छींक, खांसी, और गले में दर्द के साथ बुखार की शिकायत होगी। इसलिए इन लक्षणों को इग्नोर न करें। ये वायरस छोटे बच्चों में ज्यादा फैलता है। इसकी कोई वैक्सीन या कारगर दवा नहीं है। लेकिन घबराने की जरूरत नहीं है। सिर्फ इम्यूनिटी पर जोर और सतर्क रहना जरूरी है। कमजोर इम्यूनिटी के लोगों में संक्रमण हो सकता है। इससे बचाव के लिए भी सोशल डिस्टेसिंग, मास्क और हैंडवॉश (हाथ धोने) की आदत डालनी होगी। ये भी पढ़ें: एमपी में बनेगा नया ‘कॉरिडोर’, ली जाएगी 17 गांवों की जमीन इन बातों का रखें ध्यान
-भीड़ वाले इलाकों में जाने से बचे। चेहरे पर मास्क और सोशल डिस्टेसिंग का पालन करें
-किसी भी चीज को छूने, बाहर से वापसी पर हाथ धोने की आदत डालें -खांसी, जुकाम या बुखार की शिकायत है तो चिकित्सक से चैकअप कराएं
यह सीवियर निमोनिया लापरवाही होने पर घातक
जेएएच में मेडिसिन विभागाध्यक्ष डॉ. सजय धवले कहते हैं, एचएमपीवी पहले भी होता रहा है। यह सीवियर निमोनिया है। इसका असर सबसे ज्यादा 6 से 12 उम्र के बच्चों पर ज्यादा दिखा है या फिर उम्रदराज लोग इसकी चपेट में आते हैं। इससे घबराने की जरूरत नहीं है, लेकिन लापरवाही भी नहीं रहें क्योंकि संक्रमण शरीर में फैलने पर घातक भी साबित होता है। राहत की बात है अभी तक प्रदेश या अंचल में संक्रमण का असर नहीं है। समय रहते इससे बचाव के इंतजाम भी जरूरी है।