याचिकाकर्ता अवधेश सिंह भदौरिया ने न्यायालय को बताया कि स्वास्थ्य सेवाओं के लिए नगर निगम द्वारा 2018 में 50 लाख रुपए रखे गए थे। जिसमें सफाई के लिए सामग्री एवं रसायन क्रय करना थे। इसमें 21 लाख 14 हजार रुपए में प्युपा, लार्वानाशक दवा खरीदी गई। इस खरीदी में ही भ्रष्टाचार किया गया। यदि वास्तव में इतनी दवा खरीदी जाती तो शहर में मच्छरों का प्रकोप कम हो सकता था। याचिकाकर्ता ने कहा कि शहर के नागरिकों को जागरूक करने के लिए लगातार अभियान चलाए जा रहे हैं।
नगर निगम ने सूचना के अधिकार के तहत जानकारी में बताया कि वर्ष 2018 में शहर में फॉगिंग के लिए भण्डार विभाग द्वारा 8,07534 रुपए की दवा क्रय की गई। जिसमें किंगफोग 142 लीटर, पेराथ्रम 250 लीटर, टेमोफोस 55 लीटर, फॉगिंग दवा स्वास्थ्य विभाग नगर निगम को मांग के अनुसार प्रदान की गई। क्षेत्रीय कार्यालयों को बी लार्व के 28 पैक, बारसिलो जीआर का एक पैक, किंगफोग 142 पैक, सोल्फेक ई डब्ल्यू 329 पैक, के आर्थिन 253 पैक, पेराथ्रम 10 पैक तथा टेमोफोस 11 पैक दवा क्षेत्रों में छिडक़ाव के लिए दी गई।