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हाईकोर्ट का बड़ा फैसला : धार्मिक संस्था को धर्म परिवर्तन कराने का अधिकार नहीं, मुस्लिम लड़की का विवाह हुआ शून्य

धर्म परिवर्तन करके मुस्लिम से हिंदू बनी युवती के केस पर सुनवाई करते हुए कहा कि, नारी निकेतन में रह रही लड़की को एक सप्ताह के भीतर वहां से आजाद किया जाए।

ग्वालियरSep 07, 2022 / 12:15 pm

Faiz

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हाईकोर्ट का बड़ा फैसला : धार्मिक संस्था को धर्म परिवर्तन कराने का अधिकार नहीं, मुस्लिम लड़की का विवाह हुआ शून्य

ग्वालियर. धर्म परिवर्तन मामले को लेकर ग्वालियर हाईकोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है। मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ ने धर्म परिवर्तन करके धार्मिक संस्थानों से मैरिज सर्टिफिकेट लेने के एक मामले को लेकर सुनवाई करते हुए कहा कि, किसी भी धार्मिक संस्था को युवक-युवती का धर्म परिवर्तन कराने का अधिकार नहीं है। हाईकोर्ट ने इसका एक नियमानुसार, तरीका बताते हुए कहा कि, अगर किसी को धर्म परिवर्तन करने की इच्छा है भी तो वो विधिवत रूप से कलेक्टर के यहां आवेदन करके पसंद के धर्म का चयन कर सकता है।

मध्यप्रदेश हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ ने आगे ये भी कहा कि, किसी भी धार्मिक संस्था को युवक या युवती का धर्म परिवर्तन कराने का अधिकार नहीं। ये विधिवत रूप से कलेक्टर के यहां आवेदन देने के बाद ही मान्य करार दिया जाएगा। बता दें कि, धर्म परिवर्तन करके मुस्लिम से हिंदू बनी युवती के केस पर सुनवाई करते हुए कहा कि, नारी निकेतन में रह रही लड़की को एक सप्ताह के भीतर वहां से आजाद किया जाए। चूंकि लड़की बालिग है, इसलिए वो कहीं भी जाने के लिए स्वतंत्र है। अगर लड़की अपने माता-पिता के साथ जाने के लिए तैयार नहीं होती तो वो अपने प्रेमी के साथ भी जा सकती हैं।

 

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आर्य समाज मंदिर में हुआ था मुस्लिम लड़की का मतांतरण और विवाह

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आपको बता दें कि, हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ ने उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद के एक आर्य समाज मंदिर में हुए मुस्लिम लड़की के मतांतरण और विवाह को शून्य घोषित कर दिया है। साथ ही, पुलिस अधीक्षक गाजियाबाद को आदेश दिया कि, मतांतरण कराकर विवाह प्रमाण पत्र जारी करने के मामले में जांच करें और कानूनी कार्रवाई की जाए। कोर्ट ने स्पष्ट टिप्पणी की कि, मतांतरण कराने का किसी संस्था को अधिकार नहीं। जो कानून लागू है उसके तहत ही मतांतरण हो सकता है।

 

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ये है मामला

बता दें कि, मामला प्रदेश के शिवपुरी का है, यहां जिले के पिछोर में रहने वाले राहुल ने 17 सितंबर 2019 को घर से भागकर गाजियाबाद के कविनगर स्थित आर्य समाज मंदिर में लव मैरिज की थी, लड़की के पिता ने पिछोर थाने में गुमशुदगी दर्ज कराई थी। दोनों 2 साल बाद लौटकर आए और सीधे थाने में उपस्थित हुए, लेकिन लड़की के नाबालिक होने की वजह से राहुल पर दुष्कर्म का केस दर्ज कर उसे जेल भेज दिया गया, लड़की ने पिता के साथ जाने से मना किया तो अपर कलेक्टर ने उसे नारी निकेतन में भेज दिया, राहुल ने जमानत मिलने के बाद लड़की को पत्नी बताते हुए नारी निकेतन से मुक्त कराने बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर की और न्यायालय में कहा गया की उसने आर्य समाज मंदिर में लड़की का धर्म परिवर्तन करवा कर उससे हिन्दू रीति रिवाज से शादी की है। जिस पर कोर्ट ने कहा कोई भी किसी का धर्म परिवर्तन नहीं करा सकता, न व्यक्ति और न ही संस्था। इसी आधार पर कोर्ट ने आरोपी द्वारा नाबालिग से किया गया विवाह शून्य घोषित कर दिया। वहीं, याचिकाकर्ता के अधिवक्ता सुरेश अग्रवाल ने कोर्ट में तर्क दिया कि, लड़की बाले गए उसे नारी निकेतन में नहीं रखा जा सकता। ऐसे में कोर्ट ने उसे मुक्त करने का आदेश दिया।

 

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