– स्वर्णरेखा रिवर फ्रंट डवलपमेंट योजना के तहत विकसित किया जाना है।
– दोनों किनारों पर लैंड स्केपिंग और बगीचे विकसित कर स्मार्ट लाइट लगवाई जानी हैं।
– नदी के तल में डाली गई सीवर लाइन के पानी को विशेष तकनीक से साफ कर उपयोगी बनाया जाना है।
– नदी के डेढ़ किलोमीटर हिस्से में साफ पानी भरा जाना है।
– सीवर ट्रीटमेंट के साथ-साथ गैस बनाने की बात भी कही गई है।
– नदी के किनारों पर सोलर प्लांट लगाकर बिजली बनाने की भी बात कही जा चुकी है।
– वर्ष 2000 में नदी में सीमेंट-कांक्रीट करने के लिए 46 करोड़ रुपए की योजना मंजूर की थी।
– इस योजना की लागत बढऩे के साथ 38 करोड़ रुपए और खर्च कर दिए गए।
– पूर्व मंत्री स्व. शीतलासहाय, प्रदेश के पूर्व केबिनेट मंत्री और पूर्व सांसद अनूप मिश्रा के अलावा तत्कालीन महापौर और वर्तमान सांसद विवेक शेजवलकर और पूर्व महापौर समीक्षा गुप्ता के समय नदी के लिए योजनाएं बनीं थीं।
– कुछ वर्ष पहले हनुमान बांध से शर्मा फार्म तक लगभग 13 किलोमीटर दूरी में साफ पानी रखने के लिए कवायद हो चुकी है।
– फूलबाग बारादरी से लक्ष्मीबाई समाधि तक नाव चलाने की योजना बनी जो गंदा पानी रहने से अपने आप ही बंद हो गई। वर्ष 2000 में नदी में सीमेंट-कांक्रीट करने के लिए 46 करोड़ रुपए की योजना मंजूर की थी।
यह हैं नदी को पक्का करने के दुष्परिणाम
– 2009 से पहले स्वर्ण रेखा को सिंचाई विभाग के माध्यम से पक्का कराया गया।
– नदी के आसपास की दीवारें पक्की होने के साथ-साथ तल को भी पक्का कर दिया गया।
– तल में सीमेंट-कांक्रीट हो जाने से नदी में बहने वाला पानी जमीन में बैठना बंद हो गया।
– बारिश के दौरान जितना भी नदी में भरता है, वह लगभग पूरा बह जाता है।
– तल पक्का होने से भूजल स्तर लगातार नीचे गिरा है।
– पीएचई ने नदी के तल के नीचे सीवर लाइन डाल दी है, इससे निकलते वाली गंदगी हमेशा नदी के पानी में मिलती रहती है।
– नदी में बने सीवर चैंबर्स से गंदगी निकलते हुए साफ देखा जा सकता है।
– नेता-अफसरों के गठजोड़ ने स्वर्णरेखा को गंदे और कीचड़ वाले नाले में बदल दिया है।
– इसमें लश्कर और ग्वालियर क्षेत्र के 450 से अधिक छोटे-बड़े नालों की गंदगी समा रही है। नगर निगम के रिकॉर्ड अभी 84 नालों का पानी नदी में पहुंच रहा है।
पहले देती थी जीवन
– रियासत काल से स्वर्णरेखा लश्कर, ग्वालियर के लिए जीवनदायिनी रही है।
– पूर्व में स्वर्णरेखा में बहने वाले साफ पानी की वजह से नदी को खिताब से भी नवाजा जा चुका है।
– नदी के पानी से शहर का भूजल स्तर भी बेहतर था।
– आसपास के कुएं-बावड़ी और नलकूपों का वाटर लेवल हमेशा स्थिर रहता था।
शहर के लिए अब नए सपने
– स्वर्णरेखा का कायाकल्प करने के लिए लगभग 40 करोड़ रुपए की योजना बनी है।
– करीब 400 मीटर क्षेत्र में बोट क्लब को भी डवपल किया जाएगा।
– नाव के लिए नदी में आने वाले गंदे पानी को ट्रीटमेंट करके साफ किया जाएगा।
– नदी के किनारों को बेहतर करके शहर की विरासत को बताने वाले स्कल्पचर लगाने का प्लान है।
– बोट क्लब में बनाया एक्वेरियम बंद है, इसको दोबारा से रेनोवेट किया जाएगा।