कोर्ट ने पति की तलाक की डिक्री पारित करते हुए बेटे के भरण पोषण के लिए 25 हजार रुपए प्रति माह देने का आदेश दिया। पिता चाहे तो अपने बेटे से मिलने के लिए स्वतंत्र रहेगा। बेटा मां के पास रहेगा।
पत्नी ने ससुराल छोड़ दिया
अमित (परिवर्तित नाम) का विवाह 10 फरवरी-2012 को हुआ था। विवाह के बाद पत्नी पुणे रहने के लिए साथ चली गई, लेकिन पति-पत्नी के बीच विवाद होने लगे और पत्नी ने ससुराल छोड़ दिया, दोनों के बीच मुकदमे बाजी शुरू हो गई। पत्नी ने मायके में रहते हुए पति पर दहेज प्रताड़ना, घरेलू हिंसा के केस दर्ज कराए। भाई की आत्महत्या के मामले में पति के माता-पिता के खिलाफ झूठा केस दर्ज कराया और वह जेल में रहे।
पत्नी ने दर्ज कराए थे केस
पत्नी ने पति व उसके परिवार वालों पर पांच केस दर्ज करा दिए। दोनों के बीच सुलह नहीं हो सकी। पति ने कुटुंब न्यायालय ग्वालियर में तलाक का आवेदन लगाया। पत्नी ने भरण पोषण व साथ रहने के लिए आवेदन लगया। कोर्ट ने पत्नी व उसके बच्चे को 25 हजार रुपए भरण पोषण दिए जाने का आदेश दिया। पति के साथ रहने के आवेदन को स्वीकार कर लिया, पति का तलाक का आवेदन खारिज हो गया। तलाक का आवेदन खारिज होने के खिलाफ पति ने हाईकोर्ट में अपील दायर की। पति की तलाक की अपील स्वीकार करते हुए हाईकोर्ट ने पत्नी के साथ रहने का कुटुंब न्यायालय का आदेश निरस्त कर दिया। 25 हजार रुपए का भरण पोषण चालू रखा, इसमें हर साल 5 फीसदी की बढ़ोतरी हो जाएगी।
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-पुणे में निवास के दौरान पत्नी पति से आए दिन विवाद करती थी। सास-ससुर के पास आने के बाद भी वह झगड़ा करती थी।
-पत्नी के र्भाई ने आत्महत्या कर ली थी। इस आत्महत्या के लिए पति के माता-पिता को जिम्मेदार ठहराया। इस कारण उन्हें जेल जाना पड़ा। -दहेज प्रताड़ना का केस भी दायर किया। इसके अलावा बिना तलाक के दूसरा विवाह करने का आरोप लगाते हुए प्रकरण दर्ज कराया है।
-11 साल से पति-पत्नी के दांपत्य संबंध नहीं हैं। दोनों लंबे समय से अलग रहे हैं। विवाह विच्छेद हुए लंबा समय बीत गया। -पत्नी ने पति व उसके परिवार को झूठे मुकदमे में फंसाना बंद नहीं किया। दोनों का विवाह अव्यवहारिक व भावनात्मक रूप से मृत हो गया है।