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ग्वालियर

डिजिटल एजुकेशन बच्चों को कहीं एकांतजीवी न बना दें

देश में कई गांव ऐसे, जहां बिजली और इंटरनेट की सुविधा नहीं
 

ग्वालियरJul 28, 2020 / 06:22 pm

prashant sharma

डिजिटल एजुकेशन बच्चों को कहीं एकांतजीवी न बना दें

डिजिटल एजुकेशन बच्चों को कहीं एकांतजीवी न बना दें

ग्वालियर.

कोविड-19 के कारण स्कूल-कॉलेज बंद हुए काफी टाइम हो गया। इन दिनों स्कूल और कॉलेज में ऑनलाइन एजुकेशन शुरू है। इस दौरान कई बार शहर लॉक हुआ और फिर अनलॉक हुआ। आज पेपर और पेन लेस पढ़ाई हो रही है, टैबलेट पर बच्चे पढ़ रहे हं, ई-बुक्स उनके पास हैं और टीवी व चैनल उनके ट्यूटर बन गए हैं। आगे भी यह स्थिति जारी रह सकती है। मैं छात्रों द्वारा टैबलेट, लैपटॉप, स्मार्ट फोन और अन्य आधुनिक उपकरणों के उपयोग का समर्थक हूं, लेकिन इसमें परस्पर संवाद का अभाव है। ध्वनियों और दृश्यों के माध्यम से शिक्षा रोचक हो सकती है पर यह छात्रों को एकांतजीवी बनाएंगी।
अधिक से अधिक लोगों से मिलें और उन्हें जानें
अगर हम देखें, तो व्यक्तित्व विकास के लिए जरूरी है कि हम अधिक से अधिक लोगों से मिलें, उन्हें जाने और उनसे जुड़ें। इन सबके लिए मैं स्कूल-कॉलेज में छात्रों की फिजिकल प्रजेंस जरूरी मानता हूं। डिजिटल शिक्षा का मतलब है कि आपको न केवल स्कूल में बल्कि घर में भी उचित आधारभूत संरचना चाहिए। पारंपरिक कक्षा प्रशिक्षण में सब कुछ एक निश्चित समय सारिणी के अनुसार होता है। ऑनलाइन सीखने के लिए बेहतर प्रबंधन और कठोर अनुशासन चाहिए। इतना ही नहीं इंटरनेट की पढ़ाई से बच्चों की रचनात्मक क्षमता में कमी आती है।
डिजिटल शिक्षा बुनियादों तरीकों को भुला सकती है
आज कई लोग इंटरनेट पर आधारित शिक्षा का समर्थन कर रहे हैं, वे इसे पूरी तरह से लागू करने की बात कर रहे हैं, लेकिन क्या आपने सोचा है कि डिजिटल शिक्षा बच्चों के पढ़ाई के बुनियादी तरीके को भुला सकती है। यहां तक की बच्चे साधारण समस्याओं और होमवर्क के लिए भी नेट पर निर्भर हो जाएंगे। इसके साथ ही अभी भारत का इंफ्रास्ट्रक्चर ऑनलाइन एजुकेशन के लिए तैयार नहीं हैं। अभी भी गांवों और कस्बों में 24 घंटे बिजली आपूर्ति नहीं होती। इंटरनेट का उपयोग कम ही लोग कर रहे हैं। फिरभी इस समय संक्रमण रफ्तार पकड़ रहा है। एेसे में कोई और विकल्प हमारे पास नहीं है, लेकिन जब भी सिचुएशन सुधरेगी, तब बच्चों को ऑफलाइन की तरफ मोडऩा होगा।
ऑनलाइन शिक्षा से अभी दूर
मैं पेपरलेस और पेनलेस शिक्षा में उपयोग ज्यादा सही मानता हूं, लेकिन अभी की स्थिति में सम्पूर्ण ऑनलाइन शिक्षा से भारत अभी एक दशक दूर है। इसलिए हम ऑनलाइन शिक्षा को ही पूर्ण न मानें, भारतीय स्थिति को देखते हुए यह क्लासरूम शिक्षा का परिस्थितिजन्य विकल्प है न कि शिक्षा स्कूल-कॉलेज का पूर्ण समाधान। यह चीज हमें समझना होगा।

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