ग्वालियर। देश के ह्दय प्रदेश यानि मध्यप्रदेश के उत्तर में चंबल नदी के दोनों तरफ बंजर बडे-बड़े मिट्टी के टीले हैं, जिन्हें लोग बीहड़ कहते हैं। यह बीहड़ उन लोगों की पनाहगाह हैं जिन्हें समाज बागी कहती है। बीहड़ की इन औलादों में सबसे खास रही है फूलनदेवी। चंबल के गांव की एक चुलबुली सी बच्ची फुलवा से लेकर दहशत का नाम बनने वाली फूलनदेवी की कहानी किसी बॉलीवुड फिल्म से कम नहीं है।
फूलन की जिंदगी यातनाओं, सामाजिक कुरीती और संघर्ष की कहानी है। फूलन की जिंदगी का अंत में उसी बंदूक से हुआ जिसके सहारे वो बीहड़ों में राज करती थी। फूलन इस दुनिया में नहीं है, लेकिन उसके संघर्ष की कहानी जिंदा है। यही कारण है कि टाइम मैगजीन ने फूलनदेवी को विश्व की 16 क्रांतिकारी महिलाओं की श्रेणी में चौथे नंबर पर बताया है।
कच्ची उम्र में शादी और रेप
फूलन देवी का जन्म 1963 में उत्तर प्रदेश के जालौन जिले के गोहरा के पुरवा गांव में हुआ था। मल्लाह जाति की फूलन को बचपन से ही सर्वण जाति के लोगों के शोषण का शिकार होना पड़ा।
-महज 11 साल की उम्र में उसकी शादी 30 साल के पुत्ती लाल से कर दी गई। पुत्ती लाल उससे अमानवीय व्यवहार करता था।
-तंग आकर वह भागकर अपने मायके चली आई। यहां एक दिन मुखिया के बेटे ने अपने साथियों के साथ उसके घर में घुसकर बंदूक की नोक पर गैंगरेप किया।
1976 से 1983 तक चंबल के बीहड़ में फूलन ने राज किया। बेहमई कांड के बाद उसने 12 फरवरी, 1983 को मध्य प्रदेश के ग्वालियर शहर में तत्कालीन मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह के सामने अपनी शर्तां पर आत्मसमर्पण कर दिया।
-बाद में वह राजनीति में आईं और सांसद बनीं। 25 जुलाई 2001 को दिल्ली में उनके सरकारी निवास के सामने उनकी हत्या कर दी गई। फूलन ने बचपन से लेकर डकैत बनने तक जिस हालात का सामना किया वह दिल दहला देता है।
-इन हालातों ने फूलन को इतना कठोर बना दिया कि उसने बदला लेने के लिए बहमई में एक साथ लाइन में खड़ा कर 22 ठाकुरों को मौत के घाट उतार दिया था।
इस तरह पहुंची बीहड़
-मां मुलादेवी ने फूलन देवी को उसकी फुफेरी बहन के पास टयोंगा गांव भेज दिया। यहां फूलन देवी की मुलाकात मौसेरा भाई कैलाश से हुई। कैलाश का संबंध चंबल के दस्यु सरगना बाबूसिंह गुजज़्र के साथ था।
-एक दिन फूलन देवी को दस्यु सरगना बाबू सिंह गुजज़्र चंबल उठा ले गया। वह फूलन का यौन शोषण करने लगा। बाद में बाबू सिंह गुजज़्र को विक्रम मल्लाह ने मार डाला। विक्रम फूलन को पसंद करता था।
22 दिन तक 22 ठाकुरों ने किया गैंगरेप
-विक्रम दस्यु सरगना श्रीराम का शागिर्दं था। जब फूलन और विक्रम के बीच प्यार का बीज अंकुरित हो रहा था। तभी श्रीराम जेल से छूटकर आया। उसने विक्रम की हत्या कर दी।
– श्रीराम अपने साथी लालाराम के साथ मिलकर फूलन देवी को बेहमई गांव ले आया। यह ठाकुरों का गांव था। फूलन देवी को एक घर में कैद कर दिया गया।
– श्रीराम और लालाराम गांव के करीब 20 ठाकुरों ने फूलन देवी का 22 दिन तक गैंगरेप किया। एक दिन उसे बिना कपड़ों के पूरे गांव में घूमाया गया।
तलवार पर जीने वालों का नाश भी तलवार से ही होता है
मध्यप्रदेश के पूर्व सीएम व पूर्व केंद्रीय मंत्री दिवंगत अर्जुन सिंह ने अपनी आत्मकथा में लिखा था कि वो फूलनदेवी जो कभी लोगों के लिए डर का प्रतीक थी, उसी को लोगों ने जनप्रतिनिधि चुना और लोकसभा तक पहुंचाया।
फूलनदेवी 1996 में समाजवादी पार्टी से उत्तरप्रदेश की मिर्जापुर-भदौही लोकसभा सीट से सांसद चुनी गईं थी। दि. सिंह ने जिक्र करते हुए अपनी आत्मकथा में उल्लेख किया है कि जो लोग तलवार के दम पर जीते हैं, उनका नाश भी तलवार से ही होता है। … और फूलनदेवी का अंत भी कुछ ऐसा ही हुआ। वर्ष 2001 में शेरसिंह राणा नामक शख्स ने फूलन की दिल्ली के अशोका रोड स्थित उनके आवास पर गोली मारकर हत्या कर दी थी।